Haryana

हिसार : कृषि उत्पादन बढ़ोतरी में अहम भूमिका निभाती मधुमक्खियां : डॉ. डीके यादव

मुख्य अतिथि डॉ. डीके यादव बैठक को संबोधित करते हुए।
पुस्तक का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि एवं अन्य।

देश भर के 26 केन्द्रों से 40 प्रतिभागी ले रहे भाग

हकृवि में ‘मधुमक्खियां और परागणकर्ता’ समूह की वार्षिक बैठक का शुभारंभ

हिसार, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय अनुसंधान

परिषद-एआईसीआरपी मधुमक्खी एवं परागणकर्ता परियोजना की वार्षिक समूह की तीन दिवसीय बैठक

का शुभारंभ आईसीएआर (फसल विज्ञान) के उप महानिदेशक डॉ. डीके यादव मुख्य अतिथि रहे।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। समूह

की बैठक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान। परियोजना-नई दिल्ली एवं हकृवि के कीट विज्ञान विभाग

द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई। बैठक में देश भर के 26 केन्द्रों से 40 प्रतिभागी

भाग ले रहे हैं।

डॉ. डीके यादव ने मंगलवार काे अपने संबोधन में कहा कि मधुमक्खी एवं परागणकर्ता कीट कृषि

के लिए प्राकृतिक आधार हैं, जो फसल उत्पादन और जैव विविधता दोनों को सुदृढ़ करते हैं।

उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे टिकाऊ कृषि प्रणाली के लिए मधुमक्खियों

की भूमिका को और अधिक व्यापक रूप से सामने लाएं। उन्होंने कहा कि मधुमक्खियां कृषि

उत्पादन की आधारशिला हैं और उनके संरक्षण एवं संवर्धन से न केवल शहद उत्पादन होता है

बल्कि परपरागण के माध्यम से फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। उन्होंने

बताया कि अखिल भारतीय मधुमक्खी एवं परागणकर्ता परियोजना ने देश में मधुमक्खी पालन के

वैज्ञानिक दृष्टिकोण को नई दिशा दी है।

उन्होंने परागणकर्ताओं के संरक्षण, जलवायु परिवर्तन

के प्रभाव एवं आधुनिक मधुमक्खी पालन तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने

परागण सेवाओं का मूल्यांकन करते हुए मधुमक्खी प्रजातियों का संरक्षण, रोग एवं कीट प्रबंधन,

उन्नत पालन तकनीक विकसित करने तथा किसानों के प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रचार-प्रसार पर

भी जोर दिया। उन्होंने पॉलीहाउस व नेट हाउस में मधुमक्खियों के अलावा अन्य परागणकर्ता

कीटों के उपयोग पर एक्सपेरिमेंट को बढ़ावा देने पर जोर दिया। मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम

में मधुमक्खी एवं परागण से संबंधित दो पुस्तकों का विमोचन किया।

मधुमक्खियों और परागणकर्ताओं का कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान

: प्रो. बीआर कम्बोज

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बीआर कम्बोज ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा

कि मधुमक्खी पालन किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण दोनों के लिए समान रूप

से महत्वपूर्ण है। विश्वविद्यालय ने इस दिशा में कई अनुसंधान उपलब्धियां प्राप्त की

हैं और नई तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने का कार्य निरंतर जारी है। उन्होंने वैज्ञानिकों

से स्थानीय जलवायु के अनुरूप नवाचार करने और किसानों को प्रशिक्षण देने पर बल दिया।

मधुमक्खियों और प्रांगणकर्ताओं का कृषि अर्थव्यवस्था एवं खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण

योगदान है।

आईसीएआर की एडीजी डॉ. पूनम जसरोटिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा

कि मधुमक्खियाँ पारिस्थितिकीय स्थिरता और कृषि उत्पादकता की आधारभूत कड़ी हैं। उन्होंने

बताया कि परियोजना ने देश में मधुमक्खी पालन को वैज्ञानिक दिशा देने के साथ ही ग्रामीण

अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है।

बैठक में एआईसीआरपी के परियोजना समन्वयक डॉ. सचिन एस सुरोश ने परियोजना की

वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें देश के विभिन्न केन्द्रों पर चल रहे अनुसंधान,

तकनीकी उपलब्धियों और प्रशिक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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