Uttar Pradesh

संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी भाषा को मिलनी चाहिए मान्यता : डा. ऋचा मिश्रा

हिन्दी दिवस समारोह मे उपस्थित अतिथिगण

– महात्मा गांधी ने कहा था कि हिन्दी भाषा मेरे लिए स्वराज का प्रश्न है: डॉ. हेमांशु सेन सिंह

लखनऊ, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में रविवार को हिन्दी दिवस समारोह में उपस्थित अतिथि ऋचा मिश्रा ने कहा कि हिन्दी भाषा को संयुक्त राष्ट्र संघ में मान्यता अवश्य मिलनी चाहिए।

हिन्दी दिवस के अवसर पर हिंदी संस्थान में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण से हुई। हिन्दी संस्थान के प्रधान सम्पादक डॉ. अमिता दुबे ने अतिथि डॉ. ऋचा मिश्रा, डॉ. हेमांशु सेन सिंह और डॉ. राम कृष्ण का स्वागत स्मृति चिन्ह भेंटकर किया गया।

डॉ. ऋचा मिश्रा ने कहा कि हिन्दी भाषा को संयुक्त राष्ट्र संघ में मान्यता अवश्य मिलनी चाहिए। भारत का पूरे विश्व में महत्वपूर्ण स्थान है। भारत के धार्मिक ग्रंथ विदेशी विद्वानों के लिए एक मार्ग दर्शन के रूप में कार्य करते रहे हैं। विदेशों में भी कई विद्वानों ने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार का बहुत प्रयास किया। विश्व ने भारतीय संस्कृति के महत्व व उसके प्रभाव को जाना है। हिन्दी भाषा आज पूरे विश्व में प्रचारित हो रही है। जिसमें संचार माध्यम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज विश्व में हिन्दी की ज्ञान संपदा काफी तेजी से बढ़ रही है।

डॉ. हेमांशु सेन सिंह ने कहा कि हिन्दी हमारे मान व सम्मान की भाषा है। हिन्दी आज नायकत्व की भूमिका में है। आज कोई संशय नहीं कि भाषा की दृष्टि से हिन्दी की विकास यात्रा पूरे विश्व में आगे बढ़ती जा रही है। हिन्दी में विशेष गुण हैं। इसलिए इसे समावेशी भाषा के रुप में जाना जाता है। हिन्दी भाषा का वैशिष्ट्य आज भी विद्यमान है। महात्मा गांधी ने कहा हिन्दी भाषा मेरे लिए स्वराज का प्रश्न है। भारतवासियों की आँखों में हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की प्रबल इच्छा भी है। हिन्दी को समावेशी भाषा के रूप में बनना होगा। हिन्दी भाषा के पास एक व्यापक व्याकरण की विरासत है। हिन्दी एक सजीव भाषा है, उसका स्वरूप विराट है। हिन्दी में उदारता का गुण विश्व फलक पर उसे महत्वपूर्ण स्थान दिलाता रहा है। भाषा विचारों के आदान-प्रदान का साधन है।

डॉ. रामकृष्ण ने कहा कि हमारा चिन्तन यदि महान होगा तो मंजिल पर पहुंचना संभव हो जाता है। चिन्तन से ही सकारात्मक परिणाम मिलता है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां पर हिन्दी बहुतायत से बोली जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी की मान्यता की पूर्ण संभावनाएं हैं। भारत को हिन्दी की राष्ट्र भाषा के रूप में मान्यता देनी होगी। विश्व मंच पर भारत को हिन्दी भाषा के संदर्भ में प्रभावशाली भूमिका निभानी होगी। ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि हिन्दी को सर्वोच्च स्थान प्रदान करने में हमारे वेदों, पुराणों की भूमिका महतवपूर्ण रही है। हिन्दी को आगे बढ़ाने में हमें कृतसंकल्प होना पडे़गा।—————

(Udaipur Kiran) / दीपक

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