
प्रयागराज, 15 सितम्बर (Udaipur Kiran) । हिन्दी मात्र एक भाषा नहीं, अपितु भारतीय संस्कृति, संस्कारों एवं जीवन मूल्यों की प्रबल सम्वाहक है। समस्त भारतीयों को एकता के सूत्र में पिरोती हिन्दी वह सूत्र है जो हमें एक-दूसरे से जोड़ती है, हमारी भावनाओं को अभिव्यक्त करती है। अपनी सहजता, मधुरता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बल पर हिन्दी भाषा ने वैश्विक स्तर पर विशेष प्रतिष्ठा अर्जित की है। उक्त विचार वरिष्ठ साहित्यकार एवं पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने डाक विभाग की ओर से साेमवार काे आयोजित हिन्दी पखवाड़ा के शुभारंभ के अवसर पर व्यक्त किया।
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हिन्दी सिर्फ सम्वाद व साहित्य ही नहीं बल्कि विज्ञान से लेकर संचार-क्रांति, सूचना-प्रौद्योगिकी और नवाचार की भाषा भी है। हिन्दी हमारी मातृभाषा के साथ-साथ राजभाषा भी है, ऐसे में इसके विकास के लिए जरुरी है कि हम हिन्दी भाषा को व्यवहारिक क्रिया कलापों के साथ-साथ राजकीय कार्य में भी प्राथमिकता दें। बदलते समय की चुनौतियों के अनुरूप राजभाषा, सम्पर्क भाषा और महत्वपूर्ण ज्ञानभाषा बने रहने के लिए हिन्दी को तकनीकी रूप से और समृद्ध बनना होगा। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति का यह दायित्व है, कि वह आत्मविश्वास के साथ हिन्दी में कार्य करे और इसकी उन्नति में सहयोग प्रदान करे।
पोस्टमास्टर जनरल ने कहा कि भारत सरकार ने विकास कार्यक्रमों और जन सेवाओं के संचालन में हिन्दी के प्रयोग को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। आज स्थिति यह है, कि संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भी हिन्दी की आवाज़ गूंजने लगी है। हिन्दी भाषा की मधुरता में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना निहित है और इसकी सरलता में गहन ज्ञान का सागर समाहित है। ’हिन्दी दिवस’ का दिन सिर्फ एक औपचारिक उत्सव नहीं, बल्कि उस भाषा का उत्सव है जिसने हमारे दिलों को जोड़ा, सपनों को शब्द दिए और भावनाओं को आवाज।
सहायक निदेशक (राजभाषा) ने बताया कि 14 सितम्बर 1949 को, देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर अपनाने का निर्णय लिया गया। अभी हिन्दी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने की 76वीं वर्षगांठ है। हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत 14 से 28 सितंबर तक डाक कर्मियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा। इसमें निबंध लेखन, काव्य-पाठ, हिन्दी व्याकरण, प्रश्नोत्तरी, अनुवाद, तात्कालिक भाषण और हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
