
मंडी, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । सरदार पटेल विश्वविद्यालय, मंडी के इतिहास विभाग द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर राष्ट्र निर्माण में हिंदी का योगदान विषय पर एक आभासी व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्यातिथि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य ललित कुमार अवस्थी रहे, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में प्रतिष्ठित विद्वान डॉ. गंगाराम राजी ने सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति आचार्य ललित कुमार अवस्थी ने कहा कि हिंदी केवल भाषा नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। उन्होंने आह्वान किया कि हिंदी दिवस का सच्चा अर्थ यही है कि हम हिंदी के माध्यम से अपनी जड़ों से जुड़े रहें और साथ ही इसे आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के साथ आगे बढ़ाएँ। उन्होंने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि हम ऐसी भाषा के धनी हैं जो सरलता में महानता और आत्मीयता में व्यापकता का भाव समेटे हुए है।
कुलपति ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे हिंदी को अपने दैनिक जीवन और शैक्षिक लेखन में और अधिक प्रयोग में लाएँ। उनका कहना था कि मातृभाषा में ज्ञान की अभिव्यक्ति से ही मौलिकता और नवाचार को गति मिल सकती है। मुख्य वक्ता डॉ. गंगाराम राजी ने राष्ट्र निर्माण में हिंदी का योगदान विषय पर विस्तार से व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि हिंदी ने समाज को जोड़ने, जनजागरण करने और राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने का कार्य किया है व विभिन्न प्रांतों, भाषाओं और संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया है।
डॉ. राजी ने कहा कि हिंदी केवल अतीत की धरोहर नहीं बल्कि वर्तमान और भविष्य की भाषा है, जिसकी वैश्विक पहुँच निरंतर बढ़ रही है।
उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे हिंदी को ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में आगे बढ़ाएँ और इसे रोजगार तथा शोध की भाषा बनाएँ। उन्होंने कहा कि आज जब हम वैश्वीकरण और तकनीकी युग में प्रवेश कर चुके हैं, तब हिंदी की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। डिजिटल युग में हिंदी विश्व की उन प्रमुख भाषाओं में शामिल है, जिसकी पहुँच करोड़ों लोगों तक है। सोशल मीडिया, साहित्य, पत्रकारिता और तकनीकी नवाचार सहित हर क्षेत्र में हिंदी अपनी विशेष पहचान बना रही है। यह गर्व का विषय है कि हिंदी अब केवल भारत की भाषा न होकर विश्वव्यापी संवाद का सेतु बन रही है।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
