HimachalPradesh

हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय अग्रणी : कुलपति

हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान लेखन प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे छात्र।।

धर्मशाला, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिन्दी भाषा की समृद्ध परम्परा, सांस्कृतिक आत्मा और राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार स्वरूप को सुदृढ़ करने की दिशा में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि हिन्दी केवल सम्वाद की भाषा न रहकर ज्ञान, शोध, शिक्षण और प्रशासन की भी प्रमुख भाषा बने। इस दृष्टि से विश्वविद्यालय ने देश में एक नई पहचान बनाई है।

कुलपति ने कहा कि “हिन्दी हमारे राष्ट्र की आत्मा है। जब तक शिक्षा और शोध कार्य हमारी मातृभाषा या राष्ट्रभाषा में नहीं होंगे, तब तक ज्ञान की वास्तविक लोकतांत्रिक पंहुच सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और हमें गर्व है कि हमारे सभी पाठ्यक्रम हिंदी में भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी स्कूलों और केंद्रों को निर्देशित किया है कि वे अपने कार्य हिन्दी में संपन्न करें, जिससे विद्यार्थियों और अध्यापकों के बीच हिन्दी का सहज प्रवाह हो सके। विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों धर्मशाला, देहरा और शाहपुर में हिन्दी पखवाड़े के अंतर्गत विविध सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। सभी स्कूलों और केंद्रों के संकाय सदस्य, शोधार्थी और छात्र-छात्रायें इन कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं।

इस मौके पर चित्रकला अभिव्यक्ति प्रतियोगिता में छात्रों ने हिन्दी भाषा, भारतीय संस्कृति और राष्ट्र की एकता पर आधारित चित्र बनाए। रंगों और रेखाओं के माध्यम से उन्होंने हिन्दी को भारतीय आत्मा की अभिव्यक्ति बताया। वाद-विवाद प्रतियोगिता का विषय “वैश्विक संदर्भ में हिन्दी की उपयोगिता को सुनिश्चित किया गया है। आशु भाषण प्रतियोगिता में छात्रों को दिए गए विषयों पर तत्काल भाषण देकर अपनी भाषाई दक्षता और सोचने-समझने की क्षमता का प्रदर्शन किया। वहीं काव्य पाठ पर छात्रों एवं शोधार्थियों ने हिन्दी कविता की विविध विधाओं का रसास्वादन करवाया।

टिप्पण-प्रारूपण कार्यशाला में शिक्षकेतर सदस्यों को हिन्दी में शुद्ध और प्रभावी लेखन की तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे हिन्दी में प्रशासनिक पत्राचार और शोध लेखन को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया गया है। सांस्कृतिक प्रस्तुतियां लोकगीत, नाटिका और एकांकी प्रस्तुतियों ने हिन्दी की विविधता और जन-संस्कृति के महत्व को उजागर किया गया। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जितनी भी प्रतियोगिताएं हो रही हैं उनके विजेताओं को पुरस्कार राशि, प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न भी प्रदान किये जायेंगे।

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(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया

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