HimachalPradesh

हिमाचल देश में प्राकृतिक खेती का उदाहरण बन रहा : कृषि मंत्री

कृषि मंत्री धर्मशाला में शुरू हुई कार्यशाला के दौरान।

धर्मशाला, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रोफेसर चंद्र कुमार ने मंगलवार को धर्मशाला में प्राकृतिक खेती विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर प्रो. चंद्र कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती की दिशा में देशभर में उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन के माध्यम से प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में किसान और बागवान विभिन्न फसलों व फलों को सफलतापूर्वक प्राकृतिक विधि से उगा रहे हैं। प्रदेश में अभी तक 3 लाख 6 हजार किसान बागवानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया है। राज्य की 3584 पंचायतों में 2,22,893 से अधिक किसान अब 38,437 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक तरीके से विविध फसलें ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती पर विशेष बल दे रहे हैं। प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के उत्पादों को प्राथमिकता के आधार पर खरीदने के साथ, पूरे देश में गेंहू और मक्का के लिए सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। प्राकृतिक खेती से उगाई गई गेहूँ का समर्थन मूल्य 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलोग्राम किया गया है जबकि प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की का समर्थन मूल्य 30 से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम किया गया है। प्राकृतिक खेती से उगाई गई कच्ची हल्दी के लिए भी 90 रुपये प्रति किलोग्राम न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है।

इसके बाद कार्यकारी निदेशक डॉ. अतुल डोगरा ने प्राकृतिक खेती एवं आत्मा योजना का संक्षिप्त अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती भूमि की सेहत, जैव विविधता और किसान की आर्थिक स्थिति में सुधार का सशक्त माध्यम है।

प्रधान वैज्ञानिक, जैविक कृषि एवं प्राकृतिक खेती विभाग, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर डॉ. रामेश्वर, ने फसल उत्पादन तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में स्थानीय संसाधनों जैसे गोबर, गोमूत्र, बीजामृत और जीवामृत का प्रयोग लागत को कम करता है और उत्पाद को पोषक बनाता है।

इसके बाद प्रगतिशील किसानों शक्ति देव (धर्मशाला), मुनीष हमीरपुर), वीना धीमान (नगरोटा बगवां), रिशु कुमारी (कांगड़ा) एवं राजेश कुमार (चंबा) ने भी अपने प्राकृतिक खेती के अनुभव सांझा किए।

(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया

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