शिमला, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रयासों से भारत और चीन के बीच तीन व्यापारिक बिंदुओं ’’शिपकी-ला (हिमाचल प्रदेश), लिपुलेख (उत्तराखंड) और नाथू-ला (सिक्किम)’’ से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमति बन गई है। यह निर्णय दोनों देशों के बीच हाल ही में हुई उच्चस्तरीय वार्ता के बाद लिया गया है। इसके साथ ही ’’कैलाश पर्वत, गंग रेनपोछे और मानसरोवर झील’’ की तीर्थयात्रा को वर्ष 2026 से पुनः आरंभ करने और इसके विस्तार पर भी दोनों देशों ने सहमति जताई है।
सरकारी प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि हिमाचल प्रदेश चीन के साथ ’’शिपकी-ला दर्रे के माध्यम से पारंपरिक सीमा व्यापार’’ को पुनः बहाल करने के लिए लंबे समय से प्रयासरत थी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस मुद्दे को कई बार केंद्र सरकार के समक्ष उठाया था और ’’ऐतिहासिक भारत-तिब्बत व्यापार मार्ग’’ को फिर से खोलने की मांग की थी। मुख्यमंत्री के आग्रह पर केंद्र सरकार ने इस विषय को औपचारिक रूप से चीन के समक्ष उठाया और दोनों देशों के बीच सहमति बनने में सफलता प्राप्त हुई।
प्रवक्ता के अनुसार हाल ही में भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री ’’वांग यी’’ और भारत के विदेश मंत्री ’’डॉ. एस. जयशंकर’’ के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में इस विषय पर गंभीरता से चर्चा हुई। बैठक में तय किया गया कि ’’कोविड-19 महामारी के कारण 2020 से बंद पड़ी सीमा व्यापार व्यवस्था’’ को अब फिर से शुरू किया जाएगा।
वहीं, मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक बयान जारी कर कहा कि यह केवल व्यापारिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक और पर्यटन के क्षेत्र में भी हिमाचल प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने बताया कि ’’शिपकी-ला दर्रा’’, जो कभी प्रसिद्ध ’’सिल्क रूट’’ का हिस्सा था, को वर्ष 1994 में भारत-चीन के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते के तहत सीमा व्यापार बिंदु के रूप में मान्यता दी गई थी। यह दर्रा वर्षों से ’’ट्रांस-हिमालयी व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र’’ रहा है।
इस बीच, राज्य सरकार ने यह भी जानकारी दी है कि केवल व्यापार ही नहीं, बल्कि ’’कैलाश मानसरोवर यात्रा को शिपकी-ला मार्ग से फिर शुरू करने’’ की दिशा में भी सकारात्मक संकेत मिले हैं। मुख्यमंत्री ने केंद्र को भेजे एक पत्र में यह स्पष्ट किया कि ’’रामपुर बुशहर और पूह होते हुए शिपकी-ला तक सड़क मार्ग पहले से ही मौजूद है’’, जिससे यात्रियों के लिए आधार शिविर और आवश्यक बुनियादी ढांचा विकसित करना संभव हो गया है। यह मार्ग तिब्बत की ओर से अपेक्षाकृत छोटा भी है, जिससे यात्रा और भी सुगम हो सकती है।
केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि ’’लिपुलेख और नाथू-ला दर्रों से कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच वर्षों के अंतराल के बाद फिर से शुरू हो गई है’’, और शिपकी-ला को एक अतिरिक्त मार्ग के रूप में शामिल करने की राज्य सरकार की पहल भी सफल रही है।
प्रवक्ता ने बताया कि हिमाचल सरकार अब इस मामले से जुड़ी कानूनी और प्रशासनिक औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए ’’केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय’’ के समक्ष मामला उठाएगी और राज्य सरकार को विश्वास है कि पारंपरिक सीमा व्यापार और तीर्थयात्रा मार्ग के पुनरारंभ से ’’राज्य में पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आर्थिक विकास’’ को नया आयाम मिलेगा।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
