
शिमला, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । हिमाचल प्रदेश के मत्स्य पालन विभाग को गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति गोल्डन माहशीर के संरक्षण के लिए किए गए सफल प्रयासों पर प्रतिष्ठित स्कॉच गोल्ड अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार 20 सितम्बर को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। यह सम्मान विभाग को कैप्टिव प्रजनन योजना के सफल क्रियान्वयन और गोल्डन माहशीर के संरक्षण की दिशा में किए गए अनुकरणीय प्रयासों के लिए दिया गया है।
गोल्डन माहशीर ताजे पानी की मछली की एक महत्वपूर्ण प्रजाति है जो हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की राज्य मछली भी है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस उपलब्धि पर विभाग को बधाई दी और कहा कि यह पुरस्कार प्रदेश सरकार की जैव विविधता संरक्षण के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता और अभिनव दृष्टिकोण का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि स्कॉच समूह द्वारा यह राष्ट्रीय मान्यता हिमाचल के संरक्षण कार्यों की प्रभावशीलता को दर्शाती है।
यह पुरस्कार राज्य मत्स्य पालन निदेशक विवेक चंदेल और सहायक निदेशक डॉ. सोम नाथ ने विभाग की ओर से प्राप्त किया। हिमाचल में मत्स्य पालन क्षेत्र लगभग 20 हजार लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आजीविका प्रदान करता है। बीते दशकों में जलविद्युत परियोजनाओं, अति मछली पकड़ने और प्रदूषण के चलते गोल्डन माहशीर की संख्या में भारी गिरावट आई थी। इस चुनौती को देखते हुए विभाग ने 2016 में कैप्टिव प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया, लेकिन शुरुआती वर्षों में सफलता सीमित रही।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 2023 में विशेष अभियान चलाया गया। इसके तहत अंगुलिकाओं की कम जीवित रहने की दर का पता लगाने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया और उत्तराखंड के भीमताल स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान के साथ सहयोग किया गया। विशेषज्ञों की मदद से प्रजनन तकनीक, आहार और रोग नियंत्रण पर विशेष प्रशिक्षण हुए। इसके सकारात्मक नतीजे सामने आए और वित्त वर्ष 2024-25 में विभागीय फार्म मछ्याल में 87,000 अंगुलिकाओं का उत्पादन हुआ, जो अब तक का सर्वाधिक है। इसके अतिरिक्त पहली बार 34,500 अंगुलिकाओं का संग्रहण किया गया, जिनमें से 20,000 पौंग और 14,500 गोबिंदसागर जलाशय में छोड़ी गईं।
प्रदेश सरकार ने शिमला जिले के सुन्नी में नव-निर्मित फार्म में भी गोल्डन माहशीर पालन की योजना बनाई है। यह प्रयास न केवल प्रजाति के संरक्षण को मजबूती देगा, बल्कि मत्स्य पालन क्षेत्र में रोजगार और इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा देगा। वर्ष 2024-25 में ही 3,700 से अधिक एंगलर्स ने हिमाचल का रुख किया जिससे पर्यटन को आय का नया स्रोत मिला।
विभाग को उम्मीद है कि इस वर्ष अंगुलिका उत्पादन एक लाख से पार जाएगा। विवेक चंदेल ने कहा कि मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व और विभाग की मेहनत से मत्स्य उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2022-23 में कुल मछली उत्पादन 17,025 मीट्रिक टन था, जो 2024-25 में बढ़कर 19,019 मीट्रिक टन हो गया। इसी तरह जलाशय उत्पादन 549 मीट्रिक टन से बढ़कर 748 मीट्रिक टन पहुंचा है।
गोल्डन माहशीर संरक्षण की यह उपलब्धि न केवल हिमाचल के लिए गौरव की बात है, बल्कि देश और दुनिया के लिए एक मॉडल भी बन रही है। प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह आवास बहाली, मछली पकड़ने के नियम और समुदाय की भागीदारी के साथ इन प्रयासों को आगे भी और मजबूत करेगी।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
