
धर्मशाला, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जलवायु और पहाड़ी भूगोल के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, लेकिन इसी भूगोल ने यहां की कृषि को चुनौतीपूर्ण भी बनाया है। छोटे खेत, बिखरी जोतें, सिंचाई के सीमित संसाधन और मौसम की अनिश्चितता हमेशा किसानों के सामने बड़ी बाधाएं रही हैं। ऐसी स्थिति में हिमाचल सरकार की ‘हिम कृषि योजना’ प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था में एक नई उम्मीद, नई ऊर्जा का संचार करती है।
योजना के तहत पहाड़ी खेतों के लिए उपयुक्त लघु कृषि यंत्रों से लेकर उन्नत मशीनरी तक, किसानों को 30 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। इससे खेती न केवल आसान हुई है बल्कि इसकी लागत भी काफी कम हुई है।
उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी की सोच है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाए। इसी दृष्टि के तहत प्रदेश में मुख्यमंत्री हिम कृषि योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत लगभग 80 कनाल भूमि वाले क्लस्टरों की पहचान की जाती है, जहाँ कृषि का आधुनिकीकरण सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सभी सुविधाएँ और प्रशिक्षण उपलब्ध करवाए जाते हैं। किसानों की क्षमता-वृद्धि, कौशल विकास एवं आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण निरंतर इन क्लस्टरों में आयोजित किया जाता है।
उन्होंने बताया कि इस योजना से लाभान्वित किसानों की वार्षिक आय लगभग ढाई से तीन लाख रुपये तक पंहुच रही है।
उप निदेशक कृषि कुलदीप धीमान कहते हैं कि हिमाचल सरकार द्वारा वर्ष 2024-2025 से हिम कृषि नाम से एक योजना चलाई जा रही है।
इस योजना के अंतर्गत जिला कांगड़ा में 37 क्लस्टरों का चयन किया गया है, जिनका कुल क्षेत्रफल लगभग 1770 बीघा है। इन क्लस्टरों के अंतर्गत लगभग 1451 परिवार इस योजना से लाभान्वित होंगे।
धर्मशाला के समीप गांव डिक्टू झियोल की किसान अनिता कुमारी कहती हैं कि ‘‘हमारे गांव में कृषि विभाग की ओर से हमें 8 पाॅलीहाउस लगाए गए थे। इसके बाद हिम कृषि योजना के अंतर्गत हमें मार्गदर्शन मिला कि इनमें विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाई जा सकती हैं। शुरुआत में हमने शिमला मिर्च लगाई और उसके बाद खीरा उगाना शुरू किया। वर्तमान में हमारे 8 पाॅलीहाउस चल रहे हैं और 8 और लगाए जाने हैं, इन पाॅलीहाउसों में ताइवान कंपनी के हीरो स्टार और हिम स्टार किस्म के खीरे लगाए गए हैं। एक पॉलीहाउस में लगभग 550 पौधे लगाए जाते हैं। मिट्टी तैयार करने के लिए हम इसमें देसी खाद, नीम केक, एमपी, कैल्शियम आदि डालते हैं। इन 8 पाॅलीहाउसों से हमें 10 से 12 टन उत्पादन मिलता है, और यदि फसल बहुत अच्छी हो जाए तो 20 टन तक भी निकल आता है। पूरे खर्च निकालने के बाद हम दो टर्म में लगभग ढाई लाख रुपये का लाभ कमा लेते हैं। फसल अच्छी होेने पर 2.5 से 3 लाख रुपये तक की आय हो जाती है। खीरे के बीज पर लगभग 10 हजार रुपये का खर्च आता है। इसके अलावा खाद, दवाइयों आदि पर भी खर्च होता है। इन सभी खर्चों के बाद कुल मिलाकर ढाई लाख रुपये के लगभग आय हो जाती है।
इस योजना के तहत धर्मशाला के समीप गांव डिक्टू की किसान उषा देवी, विन्ता देवी, कमलेश और मनोहर सिंह कहते हैं कि उनके गांव में हिम कृषि क्लस्टर होने के कारण उन्हें अपने घर द्वार के समीप ही रोजगार मिला है और उनकी आर्थिकी भी सृदृढ़ हुई है।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया