
कोलकाता, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) ।
पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार की वजह से बर्खास्त किए गए ग्रुप-सी और ग्रुप-डी कर्मियों को राज्य सरकार की ओर से दिए जाने वाले मासिक भत्ते पर लगी रोक की अवधि बढ़ा दी है। अब यह रोक जनवरी 2026 तक जारी रहेगी। यह आदेश शुक्रवार को न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने दिया है।
दरअसल, ममता बनर्जी सरकार ने नौकरी से बाहर हुए इन कर्मियों को राहत देने के लिए भत्ते की घोषणा की थी। योजना के तहत ग्रुप-सी कर्मियों को हर महीने 20 हजार रुपये और ग्रुप-डी कर्मियों को 25 हजार रुपये देने का प्रावधान किया गया था। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
यह याचिका 2016 की वेटिंग लिस्ट में शामिल उन उम्मीदवारों ने दायर की थी, जिनका आरोप है कि भ्रष्टाचार के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिल सकी। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जिन लोगों की नौकरी गई, वे पहले ही अयोग्य साबित हो चुके हैं। ऐसे में राज्य सरकार का उन्हें भत्ता देना पूरी तरह गैरकानूनी है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने सवाल उठाया था कि घर पर बैठे इन लोगों को आखिर किस आधार पर पैसे दिए जाएंगे? राज्य सरकार का तर्क था कि अचानक नौकरी छिन जाने के कारण इनकी आजीविका बाधित न हो, इसलिए ‘वेस्ट बंगाल लाइवलीहुड सोशल सिक्योरिटी इंटरिम स्कीम 2025’ के तहत भत्ते की व्यवस्था की गई है। लेकिन अदालत सरकार की इस दलील से सहमत नहीं हुई।
पहले 26 सितंबर तक के लिए इस योजना पर रोक लगाई गई थी और राज्य सरकार को चार हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया था। अब ताजा सुनवाई में हाईकोर्ट ने इस स्थगन आदेश को आगे बढ़ाते हुए जनवरी 2026 तक लागू रखने का निर्देश दिया है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
