Madhya Pradesh

एमआरपी से महंगी शराब बिक्री को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा पिछले ढाई महीने का ब्यौरा

एमआरपी से महंगी शराब बिक्री को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा पिछले ढाई महीने का ब्यौरा

जबलपुर, 24 जून (Udaipur Kiran) । शहर में पिछले समय से शराब की बिक्री को लेकर मामला सुर्खियों में रहा है। एमआरपी से अधिक कीमत पर लगभग सभी दुकानों में शराब की बिक्री की जा रही है। एमआरपी से ज्यादा मूल्य पर बेची गई शराब को लेकर हाईकोर्ट में अधिवक्ता दीपांशु साहू ने एक जनहित याचिका लगाई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रदेश के कई शराब ठेकेदारों ने सिंडीकेट बनाकर एमआरपी से ऊंची दरों पर शराब बेची और उपभोक्ताओं से करोड़ों रुपये की अवैध वसूली की। उन्होंने यह भी कहा कि आबकारी विभाग को बार-बार शिकायत देने के बावजूद न तो इस पर अंकुश लगाया गया और न ही कोई ठोस कार्रवाई की गई।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि राज्य में कई शराब दुकानों पर खुलेआम ऊंचे दामों पर शराब बेची जा रही है और सरकार इस पर मौन है। जनता से की जा रही इस लूट को रोकने के लिए न्यायालय से मूल्य निर्धारण नियमों के सख्त पालन के निर्देश देने की मांग की गई।

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि इस अवधि में एमआरपी से ज्यादा कीमत पर शराब बिक्री की कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं और उन पर क्या कार्रवाई की गई। साथ ही, छापेमारी की संख्या, उनके परिणाम और संबंधित दुकानों पर की गई कार्रवाई की जानकारी देने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि याचिकाकर्ता द्वारा दी गई शिकायतों पर क्या अंतिम निर्णय लिया गया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई तक राज्य सरकार को पूरी रिपोर्ट हलफनामे के रूप में प्रस्तुत करनी होगी। इसमें बताना होगा कि कितने मामलों में एमआरपी उल्लंघन हुआ और किनके खिलाफ क्या एक्शन लिया गया।

उल्लेखनीय है कि आबकारी विभाग की साठगांठ से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके पूर्व में भी अधिवक्ता दीपांशु साहू ने सबूतों सहित आबकारी विभाग को इस बाबत खबर की परंतु विभाग की तरफ से पहुंची । टीम ने न केवल खाना पूर्ति की बल्कि दुकानदार के साथ लीपापोती कर मामले को दबाया। अधिवक्ता दीपांशु एवं उसके साथी पिछले काफी समय से इस अराजकता को लेकर आबकारी के वरिष्ठ अधिकारियों सहित जबलपुर कलेक्टर एवं सक्षम विभागों में इस की शिकायत दे चुके हैं परंतु कार्रवाई के नाम पर केवल मामले को दबाया गया। लिहाजा दीपांशु साहू एवं साथियों ने हाईकोर्ट की शरण ली।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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