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दीघा के जगन्नाथ मंदिर में आर्थिक गड़बड़ी का आरोप, हाईकोर्ट ने राज्य और हिडको से मांगा जवाब

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कोलकाता, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध समुद्रतटीय पर्यटन स्थल दीघा में हाल ही में निर्मित जगन्नाथ मंदिर को लेकर आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। इसी मुद्दे पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार और हिडको से हलफनामा तलब किया है। न्यायमूर्ति सुजय पाल और न्यायमूर्ति स्मिता दास दे की पीठ ने मंगलवार को यह निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई अगले मंगलवार को होगी।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि दीघा में ‘जगन्नाथ धाम’ के नाम पर मंदिर का निर्माण किया गया, जिसमें हिडको ने धन मुहैया कराया। उन्होंने तर्क दिया कि भारतीय संविधान के अनुसार, राज्य का कोई धर्म नहीं होता और इस प्रकार किसी धार्मिक स्थल पर सार्वजनिक धन खर्च करना असंवैधानिक है। अधिवक्ता ने कहा कि यह एक घोटाला है और ऑडिट रिपोर्ट में भी इस संबंध में तथ्य सामने आए हैं कि आम जनता के धन का अनुचित उपयोग हुआ है।

दूसरी ओर, हिडको की ओर से पेश अधिवक्ता अभ्रतोष मजूमदार ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य ही नहीं है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति सुजय पाल ने कहा कि याचिका की स्वीकार्यता पर अदालत सुनवाई के दौरान विचार करेगी। उन्होंने कहा कि हिडको और राज्य सरकार के हलफनामे देखने के बाद ही अगला निर्णय लिया जाएगा।

गौरतलब है कि इससे पहले अधिवक्ता कौस्तव बागची ने भी दीघा के इसी जगन्नाथ मंदिर में सिविक वॉलंटियर्स की नियुक्ति को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि यह मंदिर ‘जगन्नाथ धाम ट्रस्ट’ के अंतर्गत संचालित हो रहा है, जो हिडको के दफ्तर का पता इस्तेमाल कर रहा है। याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि एक ट्रस्ट किस आधार पर किसी सरकारी संस्था के पते का उपयोग कर सकता है।

इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने यह भी सवाल उठाया कि मंदिर में दान देने पर आयकर छूट की घोषणा कैसे की गई, जबकि संविधान के अनुसार सरकार मंदिर निर्माण नहीं कर सकती। कुछ दिन पहले विश्व हिंदू परिषद ने भी इस मंदिर को ‘धाम’ कहे जाने और उसमें प्रसाद वितरण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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