Uttar Pradesh

हाईकोर्ट ने ग्राम प्रधान सरोज सोनकर के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार बहाल किया

बांदा, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में नरैनी विकास खंड की ग्राम पंचायत बदौसा की महिला ग्राम प्रधान सरोज सोनकर को उच्च न्यायालय इलाहाबाद से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट बांदा द्वारा 22 अगस्त 2025 को पारित आदेश को निरस्त करते हुए उनके वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार बहाल कर दिए हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अनुसूचित जाति की प्रधान सरोज सोनकर ने ग्राम सभा की खुली बैठक में पारित प्रस्तावों के आधार पर गांव में अनेक विकास कार्य कराए थे। सभी कार्य अभियंता द्वारा बनाए गए प्राकलन, माप पुस्तिका, मास्टर रोल, बिल-वाउचर और टेंडर प्रक्रिया के अनुसार पूर्ण कराए गए थे। जांच में केवल कार्यों की आईडी परिवर्तन की बात सामने आई, जबकि भुगतान राशि में कोई भिन्नता नहीं पाई गई।

बताया गया कि पंचायत चुनाव में हार चुके विपक्षियों ने रंजिशवश फर्जी शिकायतें दर्ज कराई थीं। शिकायतकर्ता बावली उर्फ बाबूराम, जो झाड़-फूंक के जरिए लोगों में दहशत फैलाने और ठगी के मामलों में संलिप्त है, ने जिलाधिकारी को भ्रामक प्रार्थना पत्र देकर जांच कराई थी। त्रिसदस्यीय जांच दल ने मौके पर कार्यों की पुष्टि भी की, बावजूद इसके जिला प्रशासन ने एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए प्रधान के अधिकार निलंबित कर दिए थे।

प्रधान श्रीमती सोनकर ने इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय में रिट याचिका संख्या 30222 दाखिल की। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उन्हें निर्दोष करार देते हुए जिला मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर दिया।

श्रीमती सोनकर को पहले भी मुख्यमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी अपराधी तत्व के हैं जिन्होंने उन पर और उनके परिवार पर कई बार हमला किया है। उन्होंने प्रशासन से ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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(Udaipur Kiran) / अनिल सिंह

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