
रांची, 21अगस्त (Udaipur Kiran) । उच्च न्यायालय ने देवघर दुर्घटना के लिए जिम्मेवार करार दिये गये दामोदर रोपवे एंड इंफ्रा लिमिटेड (डीआरआईएल )का सिविल रिव्यू पिटीशन को ख़ारिज कर दिया है। डीआरआईएल ने उच्च न्यायालय के उस फैसले के ख़िलाफ सिविल रिव्यू पिटिशन दायर किया था, जिसमें सरकार की ओर से लगाये गये 9.11 करोड़ रुपये के दंड और पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई को सही करार दिया गया था।
राज्य सरकार ने 10 अप्रैल 2022 को हुई इस दुर्घटना की जांच के बाद डीआरआईएल को इस दुर्घटना के लिए दोषी माना था। साथ ही उस पर 9.11 करोड़ रुपये का दंड लगाने और पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट करने का फैसला किया था। सरकार के इस फैसले को डीआरआईएल ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
इसमें दंडात्मक कार्रवाई को गलत और एक पक्षीय बताया गया था। डीआरआईएल की ओर से दायर याचिका पर न्यायाधीश एसएन पाठक और न्यायाधीश नवनीत कुमार की पीठ में सुनवाई हुई थी। न्यायालय ने सुनवाई पूरी करने के बाद नवंबर 2024 में अपना फैसला सुनाया।
इसमें सरकार की ओर से डीआरआईएल के ख़िलाफ की गयी दंडात्मक कार्रवाई को सही करार दिया गया था। डीआरआईएल ने उच्च न्यायालय की ओर से उसकी याचिका ख़ारिज करने के ख़िलाफ 2025 में सिविल रिव्यू पिटीशन दायर किया। इसमें न्यायालय से 2024 में दिये गये अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया।
डीआरआईएल की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह और न्यायाधीश राजेश शंकर की पीठ में सुनवाई हुई। न्यायालय ने सुनवाई के बाद डीआरआईएल की याचिका यह कहते हुए ख़ारिज कर दी है कि इसमें कोई नया तथ्य नहीं है।
सरकार ने देवघर रोपवे दुर्घटना की जांच के बाद डीआरआईएल पर लगाये गये 9.11 करोड़ रुपये के दंड की वसूली की जिम्मेवारी झारखंड पर्यटन विकास निगम (जेटीडीसी) को दी थी। जेटीडीसी ने डीआरआईएल से पैसों की वसूली के लिए मनी सूट दायर किया।
जेटीडीसी की ओर से चार अक्टूबर 2024 को दायर इस मनी सूट में कई खामियां थी। न्यायालय ने इस डिफेक्ट को दूर करने का निर्देश दिया था। लेकिन जेटीडीसी की ओर से अब तक डिफेक्ट दूर नहीं किया गया है। जेटीडीसी की इस लापरवाही की वजह से डीआरआईएल से दंड के रकम की वसूली के लिए चल रही न्यायिक प्रक्रिया में अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
उल्लेखनीय है कि इस रोपवे दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गयी थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने इसकी उच्चस्तरीय तकनीकी जांच कराने का फैसला किया था। जांच की जिम्मेवारी सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआई) को सौंपी थी।
सीएमईआरआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में कई तकनीकी खामियों को उजागर किया। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने डीआरआईएल को दोषी करार देते हुए उसके ख़िलाफ दंडात्मक कार्रवाई की थी।
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
