
मुंबई, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार के दो सितंबर के सरकारी आदेश, जिसमें हैदराबाद गजेटियर के आधार पर मराठा समाज के लोगों को कुनबी प्रमाणपत्र दिए जाने का शासनादेश जारी किया गया था, उस पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को इस मामले में हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है और मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है।
महाराष्ट्र सरकार ने दो सितंबर मराठा समाज के लोगों को हैदराबाद गजेटियर के आधार पर कुनबी प्रमाणपत्र देने का शासनादेश जारी किया था। इस शासनादेश का तीव्र विरोध अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों ने उच्च न्यायालय में पांच याचिकाएं दाखिल की थी, जिनमें दावा किया गया था कि मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने से अंतत: उन्हें ओबीसी श्रेणी में शामिल कर लिया जाएगा। साथ ही यह भी कहा था कि सरकार का फैसला मनमाना, असंवैधानिक और कानून की दृष्टि से गलत है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। इससे ओबीसी समाज के लोगों का हक बाधित होगा।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की संक्षिप्त सुनवाई की, जिनमें से एक ने अंतरिम राहत के रूप में सरकार के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। पीठ ने कहा कि वह कोई अंतरिम राहत देने के पक्ष में नहीं है और कहा कि इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगे जाने के बाद ही फैसला किया जा सकता है। पीठ ने कहा, हम इस समय याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विस्तार से चर्चा नहीं कर रहे हैं, इसलिए कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार करते हैं। पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया और याचिकाओं का जवाब देते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पीड़ित व्यक्ति नहीं हैं क्योंकि सरकारी प्रस्ताव (मराठा समुदाय के पात्र व्यक्तियों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने से संबंधित) उन पर लागू नहीं होता है। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की।
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(Udaipur Kiran) यादव
