
जबलपुर, 18 अगस्त (Udaipur Kiran) । इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज भोपाल की मान्यता रद्द होने पर उच्च न्यायालय पहुंचे भोपाल मध्य विधानसभा क्षेत्र से काँग्रेस विधायक आरिफ मसूद को बड़ा झटका लगा है। फर्जी सेल डीड के आधार पर कॉलेज चलाने के मामले में उच्च न्यायालय ने विधायक आरिफ मसूद और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने इस जांच की निगरानी के लिए एसआईटी गठित की है।
जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिविजनल बेंच में सोमवार को इस मामले की सुनवाई में पाया कि यह सेल डीड फर्जी थी। कोर्ट ने पाया कि प्रियदर्शनी कॉलेज के लिए आरिफ मसूद द्वारा जमा की गई सेल डीड फर्जी थी। पहली डीड 2 अगस्त 1999 को जमा की गई थी, जिसमें खरीदार के रूप में आरिफ मसूद का नाम था। असल डीड में खरीदार उनकी पत्नी रुबीना मसूद थीं। आरिफ मसूद ने कॉलेज की मान्यता के लिए दूसरी डीड 7 नवंबर 1999 को जमा की। यह डीड भी जांच में फर्जी साबित हुई। 2004 में भोपाल के सब रजिस्टार द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि इस डीड का कोई अस्तित्व नहीं था। इसके बाद दोबारा जमा की गई सेल डीड को 20 सालों तक किसी ने जांचा तक नहीं।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह लिखा की प्रथम दृष्टया ही यह धोखाधड़ी का मामला है इसलिए भोपाल कमिश्नर कोई आदेश दिया जाता है कि तीन दिनों के भीतर आरिफ मसूद के खिलाफ धारा 420,467,468 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया जाए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में इतने दिनों तक लापरवाही बरतने और आरिफ मसूद का साथ देने वाले सभी जिम्मेदार अधिकारियों को भी इस मामले में शामिल किया जाए और उन पर भी आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
कोर्ट ने डीजीपी कैलाश मकवाना को निर्देश दिया है कि एडीजी कम्युनिकेशन भोपाल संजीव शमी की अध्यक्षता में एक एसआईटी गठित की जाए और इस एसआईटी के अन्य दो सदस्य भी संजीव शमी ही चुनेंगे। सित को अपनी रिपोर्ट 3 महीने में कोर्ट में पेश करनी होगी और अब इस मामले की सुनवाई एक महीने बाद के लिए तय की गई है।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
