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हाईकोर्ट ने डीआरटी प्रयागराज के ठीक से काम न करने पर जताई चिंता

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

-कोर्ट ने कहा, वित्त मंत्रालय नियुक्तियों में तेजी लाए

प्रयागराज, 05 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) में पीठासीन अधिकारी की कमी के कारण लंबे समय से कामकाज न होने पर संज्ञान लिया। स्थिति को ’चिंताजनक’ बताते हुए न्यायालय ने वित्त मंत्रालय से डीआरटी में रिक्त पदों को तत्काल भरने का आग्रह किया है।

न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की पीठ ने यदुनंदन पांडेय की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। जिसमें याचिकाकर्ता ने एसएआरएफएईएसआई (सरफेसी) अधिनियम, 2002 की धारा 14 के तहत पारित एकपक्षीय आदेश को चुनौती दी थी।

याची ने बलपूर्वक वसूली के खिलाफ भी कोर्ट से संरक्षण की मांग की, क्योंकि उन्होंने कहा कि एक गारंटर के रूप में, वह उधारकर्ता को देय राशि का भुगतान करने के लिए हमेशा तैयार थे। न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले की तरह, प्रयागराज डीआरटी की अकार्य क्षमता के कारण समान राहत की मांग करते हुए कई रिट याचिकाएं हाईकोर्ट के समक्ष दायर की जा रही हैं।

न्यायालय ने कहा कि यद्यपि अर्जेंट मामलों को अस्थायी रूप से डीआरटी जबलपुर द्वारा निपटाया जा रहा था। लेकिन 24 जून 2025 को डीआरटी जबलपुर को दिया गया अतिरिक्त प्रभार समाप्त होने के बाद यह व्यवस्था भी समाप्त हो गई। अब किसी भी मामले की सुनवाई नहीं हो रही है, भले ही वह तत्काल क्यों न हो।

खंडपीठ ने कहा कि यह स्थिति चिंताजनक है और इसके कारण मामलों की सुनवाई में अत्यधिक देरी हो रही है। साथ ही पीठ ने कहा कि डीआरटी के ठीक से काम न करने के कारण याचिकाकर्ता जैसे पक्षकारों के पास कोई उपाय नहीं रह गया है। परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह आवश्यक कार्रवाई के लिए वित्त मंत्रालय और इलाहाबाद हाईकोर्ट में भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल (एएसजीआई) के कार्यालय को वर्तमान आदेश से अवगत कराए। न्यायालय ने एएसजीआई को अगली सुनवाई की तारीख पर उपस्थित होने का भी निर्देश दिया।

मामले के गुण-दोष के आधार पर, सेलीर एलएलपी बनाम बाफना मोटर्स (मुंबई) प्राइवेट लिमिटेड और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए , अदालत ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने पाया कि सुरक्षित सम्पत्ति पहले ही बेची जा चुकी है (दिसम्बर 2024 में) और यहां तक कि बिक्री प्रमाणपत्र भी जारी किया जा चुका है। हालांकि, न्यायालय ने प्रतिवादी बैंक को दो सप्ताह के भीतर अपना संक्षिप्त जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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