
कोलकाता, 18 सितम्बर (Udaipur Kiran) ।कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार और भारतीय रेलवे को स्पष्ट निर्देश दिया कि 20 सितम्बर को कुर्मी समुदाय द्वारा घोषित रेल अवरोध आंदोलन को नियंत्रित किया जाए, ताकि आम जनता का जीवन प्रभावित न हो। अदालत ने कहा कि इस संबंध में 2023 में दिए गए निर्देशों का पालन इस बार भी किया जाए।
गौरतलब है कि आदिवासी कुर्मी समाज ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के आदिवासी बहुल इलाकों में एक साथ रेल अवरोध करने का आह्वान किया है। इस प्रस्तावित आंदोलन के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें आशंका जताई गई कि इससे राज्य और रेलवे को भारी वित्तीय नुकसान होगा।
गुरुवार को न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। अदालत ने कहा कि 2022 और 2023 में भी इसी मांग को लेकर रेल अवरोध किए गए थे, जिनसे बड़ी क्षति हुई थी। 2023 में उच्च न्यायालय की एक अन्य खंडपीठ ने रेल अवरोध को नियंत्रित करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश दिए थे। इसलिए इस बार भी उन्हीं आदेशों के अनुरूप कदम उठाए जाने चाहिए।
उधर, झारखंड में कुर्मी संगठनों ने आंदोलन की तैयारियां तेज कर दी हैं। वहीं, अन्य आदिवासी समुदाय इस मांग का विरोध कर रहे हैं, जिससे टकराव की आशंका बढ़ गई है। पश्चिम बंगाल में कुर्मी संगठनों का आरोप है कि प्रशासन संताल समुदाय को उनके खिलाफ भड़का रहा है, जिससे उनका आंदोलन कमजोर हो रहा है। हालांकि, राज्य सरकार इन आरोपों से लगातार इनकार करती आ रही है।————-
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
