नैनीताल, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । नैनीताल उच्च न्यायालय में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के वोटों की काउंटिंग के दौरान कैमरा ऑफ कर के एक वोट को ओवर राइटिंग कर बदले जाने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने काउंटिंग की वीडियोग्राफी और सीसीटीवी की क्लिप याची और प्रत्याशी प्रत्याशी सहित याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं को दिखाए जाने के निर्देश दिए। निर्देश के क्रम में गुरुवार को 11 बजे डीएम कार्यालय में ये वीडियो दिखाए जाएंगे। इस दौरान महाधिवक्ता की ओर से नामित तीन सरकारी अधिवक्ता भी उपस्थित रहेंगे।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की बेंच के समक्ष पूनम बिष्ट और पुष्पा नेगी की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। शिकायत की गई थी कि 14 अगस्त अर्धरात्रि के बाद की गई काउंटिंग के दौरान कैमरा ऑफ कर के एक वोट को ओवर राइटिंग कर बदल दिया गया था। कोर्ट में इस मतपत्र की फोटो भी दिखाई गई। याचिकाओं में चुनाव निरस्त किए जाने सहित मामले का निस्तारण होने तक निर्वाचित प्रतिनिधि को शपथ से रोके जाने और वोट की फॉरेन्सिक जांच की भी मांग की गई थी। याची की ओर से उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता डीडी कामत ने उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि चुनावों में चुनाव परिणाम नहीं बल्कि चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को सर्वोच्च माना गया है। जब पांच सदस्यों को जबरन उठा ले जाया गया तो वही चुनाव निरस्त करने का पर्याप्त आधार था। उन्होंने कहा कि वे शिकायत लेकर चुनाव आयोग क्यों जाएं जबकि उसीके खिलाफ उनकी शिकायत है, अतः कोर्ट ही इसका निर्णय करे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन सदस्यों ने कहा है कि उन्हें उठाया नहीं गया वे स्वेच्छा से गए थे।
सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व अन्य ने विभिन्न कोर्ट निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामले में आपत्ति चुनाव आयोग के समक्ष या चुनाव याचिका के रूप में की जानी चाहिए, यह याचिका पोषणीय नहीं है क्योंकि यह ट्रायल कोर्ट नहीं है।
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(Udaipur Kiran) / लता
