
गलत अधिकारी ने जारी किया था, शर्त के साथ दोबारा जारी करने की छूट
जोधपुर, 13 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने आयकर विभाग की ओर से जारी धारा 148 के तहत री असेसमेंट नोटिस और धारा 147 के तहत पारित असेसमेंट आदेश को खारिज कर दिया है। जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने जोधपुर निवासी मनोज कुमार जैन की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने विभाग द्वारा जारी 13 मार्च 2025 को जारी नोटिस और 11 सितंबर 2025 को पारित असेसमेंट आदेश को रद्द कर दिया।
जोधपुर के श्यामनगर निवासी याचिकाकर्ता मनोज कुमार जैन की ओर से अधिवक्ता (सीए) प्रतीक गट्टानी ने कोर्ट में तर्क दिया कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 148 के तहत री असेसमेंट कार्यवाही शुरू करने का नोटिस क्षेत्राधिकार असेसिंग अधिकारी की ओर से जारी किया गया था, जबकि इसे फेसलेस असेसिंग अधिकारी की ओर से जारी किया जाना चाहिए था। वकील ने कहा कि इस कारण नोटिस ही कानून में गलत है और परिणामस्वरूप असेसमेंट आदेश भी कानूनी रूप से गलत है।
आयकर विभाग की ओर से एडवोकेट सुनील भंडारी ने तर्क दिया कि करदाता मनोज कुमार जैन ने असेसमेंट कार्रवाई के दौरान इस आपत्ति को नहीं उठाया और पूरी प्रक्रिया में भाग लेते रहे, इसलिए अब असेसमेंट आदेश पारित होने के बाद वे अधिकार क्षेत्र को चुनौती नहीं दे सकते। भंडारी ने कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 124 के अनुसार, धारा 142(1) के तहत नोटिस जारी होने के 30 दिनों के बाद अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को नहीं उठाया जा सकता।
कोर्ट ने जताई विभाग के तर्क से असहमति
कोर्ट ने वकील भंडारी के तर्क से असहमति जताई और कहा कि अधिकार क्षेत्र का मुद्दा किसी भी स्तर पर उठाया जा सकता है। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि शारदा देवी छाजेड़ बनाम आयकर अधिकारी और अन्य मामले में इसी मुद्दे पर इस कोर्ट की समन्वित पीठ का फैसला असेसमेंट कार्रवाई समाप्त होने के बाद ही आया था, इसलिए असेसमेंट कार्रवाई को रद्द किया जाना चाहिए। कोर्ट ने करदाता के साथ सहमति जताई। कोर्ट ने आयकर विभाग को शर्त के साथ छूट दी है कि यदि सुप्रीम कोर्ट संबंधित मामलों में हस्तक्षेप करता है, तो आयकर विभाग धारा 148 के तहत जारी नोटिस को पुनर्जीवित कर सकता है। कोर्ट ने सभी पक्षों के अधिकारों और तर्कों को खुला रखते हुए 13 मार्च को जारी धारा 148 के नोटिस और 11 सितंबर को धारा 147 के तहत पारित असेसमेंट आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही विभाग के आग्रह अनुसार छूट प्रदान की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता ने अन्य आधारों को नहीं दबाया।
(Udaipur Kiran) / सतीश
