

दो एकड़ रकबे में लगेंगे औषधीय पौधे
धमतरी, 21 जून (Udaipur Kiran) । धमतरी के गंगरेल गांव में प्रसिद्ध मां अंगारमोती मंदिर परिसर में जल्द ही आकर्षक हर्बल गार्डन आकार लेगा। लगभग दो एकड़ में बनने वाले इस गार्डन को ’’चरक पार्क’’ के नाम से जाना जाएगा। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा के विशेष प्रयासों से औषधीय पादप बोर्ड के सीईओ जेसी एस राव ने कल ही मंदिर ट्रस्ट की दो एकड़ जमीन का मौका मुआयना किया था। इस गार्डन के लिए 34 लाख 43 हजार रुपये की मंजूरी मिली है। कलेक्टर ने कहा कि चरक पार्क के स्थापित हो जाने से धमतरी में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। धमतरी का मौसम और मिट्टी औषधीय पौधों की खेती के लिए उपयुक्त है और इसकी खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि औषधीय पौधों की खेती से भविष्य में हर्बल हेल्थ टूरिज्म की संभावनाएं भी खुलेंगी। इसके साथ ही धमतरी में हर्बल मंडी की स्थापना के प्रयास भी किए जाएंगे, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
मां अंगारमोती मंदिर परिसर में बनने वाले इस चरक पार्क का आकार 195 मीटर लंबा और 50 मीटर चौड़ा होगा। इसमें लगभग 31 गुणा 23 वर्गमीटर आकार के 12 खंड बनाए जाएंगे। इन खण्डों में हर्रा-बहेड़ा, आंवला, अश्वगंधा, शतावरी, गिलोय, सर्पगंधा, एलोविरा, जटामासी, कचनार, मीठा नीम, लौंग, तुलसी, बच, लेमनग्रास, ब्राम्ही जैसे औषधीय पौधों का रोपण किया जाएगा। हर एक ब्लाक के बीच आने-जाने के लिए पाथवे भी बनाया जाएगा। चरक पार्क में सात आकर्षक घोड़े भी होंगे। मां अंगारमोती का दर्शन करने आने वाले लोग इस चरक पार्क में घूम सकेंगे और औषधीय पौधों के उपयोग आदि की जानकारी ले सकेंगे। मां अंगारमोती मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष जीवराखन लाल मरई ने मंदिर परिसर में चरक पार्क बनाने की स्वीकृति पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने कलेक्टर अबिनाश मिश्रा और जिले के वनमण्डलाधिकारी श्रीकृष्ण जाधव को धन्यवाद भी ज्ञापित किया है।
मां अंगारमोती मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष जीवराखन लाल मरई कहा कि मां अंगारमोती ट्रस्ट की भूमि पर बनने वाले इस हर्बल पार्क से पारंपरिक जड़ी-बूटियों से इलाज करने के प्राकृतिक तरीकों को संरक्षित किया जा सकेगा। आज की पीढ़ी को औषधियों-जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इस क्षेत्र में ज्ञान और शोध को बढ़ावा मिलेगा। विलुप्त हो रही जड़ी-बूटियों को बचाने और ग्रामीणजनों की आय में वृद्धि करने में भी यह पार्क मददगार होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस पार्क से पारंपरिक वैद्यों की इलाज पद्धतियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। गंगरेल बांध को पर्यटन स्थल के रूप में अच्छी प्रसिद्धि मिल गई है। यहां आसपास कई बड़े होटल और रिसार्ट भी बन गए हैं। सालभर पर्यटकों का बड़ी संख्या में आना-जाना लगा रहता है, जिससे इस क्षेत्र में जड़ी-बूटियों से इलाज की पद्धतियों को अच्छा प्रोत्साहन मिल सकता है और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पर बढ़ सकते हैं।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
