Uttar Pradesh

बीएचयू के सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में विशुद्ध आर्टीरियल ग्राफ्ट से हृदय की बायपास सर्जरी

फोटो प्रतीक

—पूर्वांचल में पहली बार हुई इस प्रकार की दुर्लभ व उन्नत तकनीक की हृदय शल्य चिकित्सा

वाराणसी, 25 जून (Udaipur Kiran) । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में हृदय रोग के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज की गई है। यहां पहली बार विशुद्ध आर्टीरियल ग्राफ्ट का उपयोग करते हुए एक दुर्लभ और अत्याधुनिक बायपास सर्जरी सफलतापूर्वक की गई। यह सर्जरी कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रत्नेश कुमार के नेतृत्व में सम्पन्न हुई।

इस जटिल शल्य चिकित्सा में संज्ञाहरण (एनेस्थीसिया) टीम का नेतृत्व डॉ. प्रतिमा राठौर एवं डॉ. संजीव कुमार ने किया। युवा मरीज को गंभीर हृदयाघात (हार्ट अटैक) हुआ था और कोरोनरी एंजियोग्राफी में पता चला कि उसकी तीनों मुख्य हृदय धमनियां अवरुद्ध थीं।

—क्या है विशुद्ध आर्टीरियल ग्राफ्ट तकनीक?

आमतौर पर बायपास सर्जरी में छाती की एक आर्टरी और पैरों की दो वेन्स का उपयोग किया जाता है। किंतु यह देखा गया है कि उपयोग की गई लगभग 90 फीसद वेन्स 10 वर्षों के भीतर बंद (ब्लॉक) हो जाती हैं, जिससे मरीज को पुनः हृदयाघात और यहां तक कि हृदयगति रुकने का खतरा बना रहता है। इसके विपरीत, विशुद्ध आर्टीरियल ग्राफ्ट तकनीक में केवल धमनियों का उपयोग किया जाता है, जो सामान्यतः 20 वर्षों या उससे अधिक समय तक प्रभावी रहती हैं। यह प्रक्रिया तकनीकी रूप से अत्यंत जटिल होती है और इसे करने के लिए शल्य चिकित्सकों को उच्च स्तर के कौशल और अनुभव की आवश्यकता होती है। दुनिया के चुनिंदा चिकित्सा संस्थानों में ही यह प्रक्रिया नियमित रूप से की जाती है।

—पूर्वांचल के लिए मील का पत्थर

डॉ. रत्नेश कुमार ने बताया कि इस तकनीक के माध्यम से मरीज को दीर्घकालिक जीवन लाभ प्राप्त हो सकता है। यह पूर्वांचल में इस प्रकार की पहली सर्जरी है और इससे क्षेत्र के हृदय रोगियों को विश्वस्तरीय तकनीक अब यहीं पर उपलब्ध हो सकेगी। उन्होंने इस सफलता का श्रेय संज्ञाहरण टीम के उत्कृष्ट कार्य के साथ-साथ सीटीवीएस विभाग के प्रमुख प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया और चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एस.एन. संखवार के मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन को दिया।

—पूरी टीम की उल्लेखनीय भूमिका

इस जटिल सर्जरी में डॉ रत्नेश के सहयोगियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें परफ्यूजनिस्ट दिनेश मैती, आशुतोष पाण्डेय, नर्सिंग स्टाफ आनंद कुमार, त्रिवेन्द्र त्यागी, राहुल, सतेन्द्र, दीपक, उमेश, ओ.टी. तकनीकी सहायक बैजनाथ पाल, ओम प्रकाश पटेल, अरविंद पटेल, तथा एम.टी.एस. आशुतोष और अर्जुन प्रमुख रूप से शामिल रहे।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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