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बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट में बीएनपी नेता तारिक व अन्य को बरी करने के मामले में कल भी होगी सुनवाई

बांग्लादेश में 21 अगस्त, 2004 को हुए ग्रेनेड हमले में 20 से अधिक लोग मारे गए थे। फोटो-फाइल

ढाका (बांग्लादेश), 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । बांग्लादेश का उच्चतम न्यायालय बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान व अन्य को उच्च न्यायालय से बरी करने के मामले पर कल भी सुनवाई करेगा। उच्चतम न्यायालय ने आज चौथे दिन भी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई की। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सैयद रेफात अहमद की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय अपीलीय खंडपीठ ने गुरुवार को सुनवाई फिर से शुरू करने का निर्णय लिया।

द डेली स्टार अखबार की खबर के अनुसार उच्च न्यायालय ने 21 अगस्त, 2004 के ग्रेनेड हमले के मामलों की सुनवाई 22 नवंबर, 2024 पूरी कर अगले माह पहली दिसंबर को फैसला सुनाते हुए आरोपित बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान, पूर्व राज्य मंत्री लुत्फोज्जमां बाबर और अन्य को बरी कर दिया था।

उच्चतम न्यायालय की अपीलीय खंडपीठ में आज सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील एसएम शाहजहां ने कहा कि ग्रेनेड हमले की घटना या साजिश में आरोपितों की संलिप्तता और घटनास्थल पर उनकी मौजूदगी का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा, अगर पिछले साल देश में राजनीतिक बदलाव नहीं हुआ होता, तो इस मामले में हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति को जेल से रिहा नहीं किया जा सकता था। हिरासत में लिए गए सभी लोगों को पिछले साल पांच अगस्त के बाद रिहा कर दिया गया था। शाहजहां ने उच्च न्यायालय के बरी करने वाले फैसले को बरकरार रखने का आग्रह किया।

इससे पहले मंगलवार को उप अटार्नी जनरल अब्दुल्ला अल महमूद मसूद ने राज्य की ओर से दलीलें पेश कीं और उच्चतम न्यायालय से उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने और मामलों में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखने की प्रार्थना की। इस साल दो जून को अपीलीय विभाग ने राज्य को इन मामलों में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दो अपील दायर करने की अनुमति दी थी। यह ग्रेनेड हमला 21 अगस्त 2004 को शाम लगभग 5ः22 बजे बंगबंधु एवेन्यू (अब शहीद अबरार फहद एवेन्यू) पर अवामी लीग की आतंकवाद विरोधी रैली में हुआ था।

इस हमले में 24 लोग मारे गए और 500 से अधिक घायल हो गए थे। हमले के समय तत्कालीन विपक्ष की नेता शेख हसीना लगभग 20 हजार लोगों की भीड़ को संबोधित कर रही थीं। मृतकों में हसीना के अंगरक्षक महबूबुर रहमान और अवामी लीग महिला मामलों की सचिव आइवी रहमान भी शामिल थीं। इस घटना के विरोध में अवामी लीग ने 23 और 24 अगस्त 2004 को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया। बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने हमलों की निंदा की। भैरब में हड़ताल पर बैठे अवामी लीग कार्यकर्ताओं ने एक इंटरसिटी ट्रेन को जला दिया। आरोप है कि ढाका में प्रदर्शनकारियों पर बांग्लादेश पुलिस और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की श्रमिक शाखा जातीयतावादी श्रमिक दल के सदस्यों ने हमला किया।

संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्वीडन ने शेख हसीना की रैली पर किए इस हमले की निंदा की। शुरू में बांग्लादेश पुलिस ने आपराधिक मामले को दर्ज करने से इनकार कर दिया और केवल एक सामान्य डायरी दर्ज की। तत्कालीन सरकार ने अवामी लीग कार्यकर्ता मोखलेसुर रहमान और शैबाल साहा पार्थ को भी फंसाने की कोशिश की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

साल 2004 में चारदलीय गठबंधन सरकार ने पुलिस के अपराध जांच विभाग को जांच सौंपी। सरकार ने न्यायमूर्ति जोयनुल आबेदीन के नेतृत्व में एक सदस्यीय न्यायिक जांच समिति का गठन किया। 2007 में सैन्य समर्थित सरकार के सत्ता में आने के बाद सरकारी एजेंसियों ने बीएनपी और अवामी लीग के कई नेताओं को हिरासत में ले लिया और मामले की नए सिरे से जांच शुरू की। 2008 में विस्तृत जांच के बाद तत्कालीन सीआईडी उच्च अधिकारी मोहम्मद जावेद पटवारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह हमला शेख हसीना की हत्या के उद्देश्य से किया गया था।

साल 2009 में अवामी लीग सत्ता में आई और इस घटना की नए सिरे से जांच शुरू करने का फैसला किया और सेवानिवृत्त सीआईडी अधिकारी अब्दुल कहार अखंड को इसका प्रभारी नियुक्त किया। दो साल बाद 2011 में आरोपितों में कई बड़े नामों को शामिल किया गया। इनमें ज्यादातर बीएनपी नेता और सरकार के कुछ पूर्व अधिकारी शामिल थे। इनमें विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान, पूर्व उपमंत्री अब्दुस सलाम पिंटू, पूर्व संसद सदस्य काजी शाह मोफज्जल हुसैन कैकोबाद और गृह मंत्रालय, पुलिस, सेना खुफिया महानिदेशालय (डीजीएफआई), राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया (एनएसआई) और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के कुछ अधिकारी शामिल थे। मार्च, 2012 में तारिक रहमान और 28 अन्य पर ग्रेनेड हमले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया गया।

एक विशेष अदालत (स्पीडी ट्रायल ट्रिब्यूनल-1) ने 10 अक्टूबर, 2018 को फैसला सुनाया। अदालत ने कुल 38 लोगों को दोषी ठहराते हुए कुछ को मृत्युदंड और तारिक रहमान, हैरिस चौधरी, काजी शाह मोफज्जल हुसैन कैकोबाद सहित 19 अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

उच्च न्यायालय ने 01 दिसंबर, 2024 को तारिक रहमान और अन्य सभी को बरी कर दिया था।

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(Udaipur Kiran) / मुकुंद

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