नैनीताल, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के दिव्यांग बच्चों को भोजन, रहने व पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था व बच्चों की देखरेख के लिए पर्याप्त फंड देना सुनिश्चित करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद इसी प्रकार के मामले में दायर अन्य जनहित याचिका के साथ सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी एवं न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार रामनगर के यूएसआर इंदू समिति ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि वह स्कूल चलाती है और विकलांग बच्चों को वहां पर आवासीय सुविधाएं दी जाती है। याचिका में कहा कि पूर्व में समय समय पर सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि वह दिव्यांग बच्चों को भोजन, रहने व पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था व बच्चों की देखरेख के लिए पर्याप्त फंड देना सुनिश्चित करें। लेकिन इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया। याचिका में प्रार्थना की गई कि सरकार एक विभाग बनाएं और उसमें समय पर पर्याप्त फंड दिए जाने की व्यवस्था के साथ ही दिशा निर्देश जारी करें।बता दें कि उत्तराखंड के 13 जिलों में स्थापित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों में विशेषज्ञ, स्टाफ व अन्य कर्मचारियों की तैनाती की मांग को लेकर पूर्व में भी जनहित याचिका दायर की गई थी। इस मामले का संज्ञान उच्च न्यायालय में स्थित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने लिया था। उसके बाद प्राधिकरण की ओर से सर्वे किया गया। उसकी रिपोर्ट के आधार पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था।
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(Udaipur Kiran) / लता