
जयपुर, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । एक लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए सवाई मानसिंह अस्पताल के न्यूरो डिपार्टमेंट के हेड डॉ. मनीष अग्रवाल करोड़ों का मालिक निकला। आरोपी ने आय अर्जित करने के कई रास्ते अपना रखे थे। एसीबी सोमवार को आरोपी के बैंक खातों की भी जांच करेगी। एसीबी को आरोपी के आवास की तलाशी में कई बैंकों की डायरी मिली है। इसके अलावा एक बैंक लॉकर की भी जानकारी सामने आई है।
एसीबी के एडिशनल एसपी संदीप सारस्वत ने बताया कि डॉ मनीष अग्रवाल के आवास की तलाशी ली गई है। हालांकि उसका एक फ्लैट भी था लेकिन उसमें किराएदार ही रहते है। आवास पर करीब एक फ्लैट और 3 भूखंडों के दस्तावेज मिले है। इसके अलावा 4.85 लाख रुपए नगदी और लाखों रुपए की ज्वैलरी मिली है। इसके अलावा डॉ के पास कई चौपहिया वाहन भी मिले है। इसके अलावा आरोपी के मोबाइल में कॉल रिकॉर्डिंग मिली है। इसमें आरोपी और पीडित की आपसी बातचीत है। मोबाइल को जब्त कर जांच के लिए भेजा गया है। डॉक्टर से पूछताछ में अब तक कई अहम जानकारियां सामने आई है। उनकी तस्दीक की जा रही है। डॉक्टर से पूछताछ कर इलाज सहित अन्य मामलों को लेकर रुपए के अवैध लेन-देन की चेन का पता लगाया जा रहा है। इसमें किस- किस डॉक्टर या अस्पताल प्रशासन की लिप्तता है इसका पता लगाया जा रहा है।
गौरतलब है कि गुरुवार को सवाई मानसिंह अस्पताल के न्यूरो डिपार्टमेंट के हैड डॉ. मनीष अग्रवाल एक लाख रुपए की रिश्वत लेते घर से अरेस्ट किया था। एसीबी की टीम जब कार्रवाई करने पहुंची तो डॉ. मनीष के कर्मचारी जगत ने रिश्वत की रकम घर के पास एक खाली प्लॉट में फेंक दी थी। पुलिस ने डॉक्टर के कर्मचारी जगत को भी गिरफ्तार किया है। परिवादी के पिछले 3 महीनों से बिल पास नहीं हो रहे हैं। उसका न्यूरो सर्जरी में काम आने वाले ब्रेन कॉइल की सप्लाई का काम है। कंपनी को 2 साल का टेंडर दिया गया था। मरीजों की जरूरत के अनुसार कंपनी से सामान मंगवाया जाता था। डॉ. मनीष अग्रवाल बिल पास करने के लिए 1 लाख रुपए की मांग कर रहे थे। एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर के जिस आईसीयू में 5 अक्टूबर की देर रात को आग लगी थी, वो डॉक्टर मनीष अग्रवाल के ही अंडर में है। इस हादसे में 3 महिलाओं समेत 8 मरीजों की जान चली गई थी। सवाई मानसिंह हॉस्पिटल के न्यूरो डिपार्टमेंट का हेड डॉ मनीष अग्रवाल एसीबी की गिरफ्त में है। हॉस्पिटल में 3 बड़ी जिम्मेदारी संभालने वाला घूसखोर डॉक्टर जयपुर हैंडबॉल संघ का अध्यक्ष भी है।
रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद कई परिवादी डॉक्टर की अलग-अलग मामलों की शिकायत लेकर कार्यवाहक डीजी स्मिता श्रीवास्तव के पास पहुंचे है। इसमें एक शिकायत मरीज को डिस्चार्ज करने के लिए भी रिश्वत मांगने की बात सामने आ रही है। डॉक्टर मरीज के परिजनों से अलग-अलग मामलों को लेकर रुपए लेता था।
—————
(Udaipur Kiran) / राजेश
