

गिरिडीह, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । झारखंड के गिरिडीह में बुधवार को सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर पारसनाथ जोन में सक्रिय दो नक्सली शिवलाल हेम्ब्रम उर्फ़ शिवा और उसकी पत्नी सरिता हांसदा उर्फ़ उर्मिला ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। पपरवाटांड़ स्थित नए पुलिस लाईन में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और पुलिस के अधिकारियों ने मुख्यधारा में लौटने पर दोनों का स्वागत किया।
झारखंड में जारी नक्सल मुक्त अभियान के तहत भाकपा माओवादियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। इसी कड़ी में सरकार के नक्सलमुक्त अभियान की नई दिशा-नई पहल से प्रभावित होकर गिरिडीह पुलिस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) अमित सिंह, गिरडीह के उपायुक्त राम निवास यादव, पुलिस अधीक्षक (एसपी) डाॅ. विमल कुमार के समक्ष हार्डकोर भाकपा माओवादी नक्सली दंपत्ति आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में वापस लौटा।
पुलिस के अनुसार, शिवलाल हेंब्रम उर्फ शिवा एरिया कमेटी केे सदस्य है, जबकि उसकी पत्नी सरिता हांसदा उर्फ उर्मिला गिरिडीह के पीरटांड के कुख्यात नक्सली विवेक दा के दस्ते की सक्रिय सदस्य है। इन दोनों के खिलाफ डुमरी, मधुबन, खुखरा, पीरटाड में कूल 15 मामले दर्ज हैं। इनमें जुड़े 11 केस शिवा के खिलाफ और चार केश पत्नी सरिता के खिलाफ हैं। दोनों गिरिडीह जिले के खुखरा थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं।
आत्मसमर्पण के बाद ‘दिशा एक नई पहल’ नीति के तहत दोनों को राज्य सरकार की ओर से 50-50 हजार रुपये की पुनर्वास राशि दी जाएगी। इसके अलावा अन्य प्रावधानों के तहत सुविधाएं मुहैया करवायी जाएंगी।
पुलिस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीआरपीएफ के डीआइजी ने कहा कि हाशिए पर गये नक्सली संगठन की ओर से आगामी 20 अक्टूबर को झारखंड बंद का कोई मायने नहीं है। उन्होंने कहा कि अभी भी समय है, शेष नक्सली मुख्य धारा में वापस लौटकर शांतिपूर्ण जीवन व्यतित करें।
उल्लेखनीय है कि झारखंड के गिरिडीह स्थित पारसनाथ का इलाका एक समय लाल आतंक के साये में इतना गहरा था कि जंगल और पहाड़ नक्सलियों के गढ़ माने जाते थे । पारसनाथ का क्षेत्र नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना हुआ करता था, जहां उनकी समानांतर हुकूमत चलती थी। लेकिन झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के संयुक्त अभियानों ने इस लाल गलियारे को लगभग पूरी तरह तबाह कर दिया है। एक साल के भीतर 15 वांछित नक्सलियों में से 12 का मुठभेड़ हो चुका है। 15 सितंबर को एक करोड़ के इनामी नक्सली सहदेव सोरेन के मारे जाने के बाद इस इलाके में नक्सलियों का प्रभाव लगभग खत्म हो गया है।—————
(Udaipur Kiran) / कमलनयन छपेरिया
