
हरदा, 23 जून (Udaipur Kiran) । सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी समय सीमा में नहीं देना भारी पड़ गया। सचिव को 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस कार्यवाही से जानकारी नहीं देने वालों में हड़कम्प मच गया है। गोविन्द सकतपुरिया के प्रकरण में वर्तमान सचिव परर्मेंद्र राजपूत कपासी एवं तत्कालीन सचिव महेश जाट पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना सूचना आयुक्त ने लगाया है।
सी.सी. रोड निर्माण की जानकारी –
गोविंद सकतपुरिया ने कपासी में टेमागांव वरुड़घाट मुख्य मार्ग से पंडा बाबा गंजाल नदी की ओर सी.सी. रोड निर्माण की जानकारी 7 बिंदुओं में मांगी गई थी, जिसे समय सीमा में नहीं देने के मामले से राज्य सूचना आयुक्त उमाशंकर पचौरी ने कार्यवाही की है।
गंभीरता से नहीं ले रहे अधिकारी –
जानकारी देने में अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। अधिकांश कार्यालयों में सूचना के अधिकार की जानकारी लंबित है। समय सीमा में जानकारी नहीं देने की अपील नहीं करने के कारण जुर्माना की कार्यवाही नहीं हो पा रही है। राज्य सूचना आयुक्त के पास जानकारी समय सीमा में जानकारी नहीं देने की अपील नहीं करने के कारण जुर्माना की कार्यवाही नहीं हो रही है। राज्य सूचना आयुक्त के पास जानकारी समय सीमा में जानकारी नहीं देने की अपील कर दी जाये तो अधिकांश जिले के सरकारी कार्यालयों में दर्जनों कर्मचारियों पर जुर्माना लगाने की कार्यवाही हो सकती है।
जांच में आयेगा मामला सामने –
समय सीमा में जानकारी नहीं देने के मामले की जांच पड़ताल की जाये तो बहुत बड़ा मामला सामने आ सकता है। जिम्मेदार जवाबदेह अधिकारी जानकारी नहीं दे रहे हैं। टाल मटोल कर रहे हैं। पावती देने में आनाकानी कर रहे हैं। समझौता करके सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने को रफा- दफा कर रहे हैं। रिकॉर्ड देखा जाये तो सबसे ज्यादा मामले पंचायतों में लंबित है। औसतन हरदा, खिड़किया और टिमरनी ब्लॉक के अधिकांश पंचायतों में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई है। इसकी जो जांच की जाये तो चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आ जायेगी ।
सूचना के अधिकार को बनाया मजाक –
जिले में सूचना के अधिकार को मजाक बनाया जा रहा है। जान-बूझकर जानकारी देने में आनाकानी की जाती है। सूचना आयुक्त को जानकारी नहीं दी जा रही है। इसकी जांच कराई जाये तो मामला सामने आ जायेगा। समझौता करके अधिकांश मामले को दबाया गया है ।
दवाब बनाने के रूप में हो रहा उपयोग –
अपना काम करने के लिए अधिकांश दवाब बनाने के लिए सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगते हैं और अपना उल्लू सीधा हो जाने पर वापस ले लेते हैं। इसकी जांच पड़ताल की जाये तो अनेक मामले सामने आ जायेंगे। अधिकार का दुरूपयोग करने के मामले की जांच कराये जाने की आवश्यकता है। दवाब बनाने अपनी नीयति से जानकारी मांगने वालों की जांच पड़ताल की जानी चाहिए। इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस संबंध में कार्यवाही की मांग जोर पकड़ रही है। अब देखना यह है कि क्या कार्यवाही की जाती है।
हिन्दुस्थान समाचार/प्रमोद
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(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा
