

हरदा, 4 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिले में यूरिया डी.ए.पी. के साथ अन्य सामानों को जबरन खरीदने पर किसानों को मजबूर किया जा रहा है। खाद से ज्यादा अन्य सामानों को खरीदना पड़ रहा है। अन्य सामानों को खरीदे बिना यूरिया, डी.ए.पी. खाद नहीं दी जा रही है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महा संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष रामनिवास खोरे का कहना है कि प्राइवेट कंपनियों की सामग्रियों को बिकवाने का जो हथकंडा अपनाया गया है। उससे किसान परेशान हैं। बजट नहीं होने पर कर्ज लेकर प्राइवेट कंपनियों की सामग्रियों को खरीदना पड़ रहा है। यूरिया डी.ए.पी. के साथ सामान खरीदना अनिवार्य करने से किसानों की परेशानी काफी बढ़ गई है। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने कृषि विभाग के इस निर्णय का विरोध करते हुए खाद के साथ अन्य सामग्रियों की खरीदी पर रोक लगाते हुए उसे स्वेच्छिक करने की मांग की है।
स्वेच्छा से खरीदने की अनुमति दी जाय – दुबे
सुनिल दुबे का कहना है कि किसानों को खाद के साथ अन्य सामग्रियों की खरीदी स्वेच्छा से करने की अनुमति दी जाये। अन्य सामग्रियों की कीमत खाद से कहीं अधिक होती है। पोने तीन सौ की खाद पर 4 से 5 सौ रुपये की अन्य सामग्रियां जबरदस्ती दे दी जाती है जो काफी महंगा पड़ रहा है। न चाहते हुए भी सामग्रियां खरीदनी पड़ रही है। इससे किसान परेशान है। अन्य सामग्रियां खरीदना अनिवार्य होने के कारण अधिकांश गरीब किसान सोसायिटी से खाद खरीदना पसंद नहीं कर रहे हैं। बाजार से महंगे दाम पर यूरिया डी.ए.पी. खरीदने को मजबूर है।
खाद से ज्यादा अन्य सामग्रियों का किराया –
25 टन की खाद एक ट्रक में आती है। जिसका किराया 1 लाख 51हजार रुपये होता है। खाद से ज्यादा 1लाख 70 हजार रुपये किराया अन्य सामग्रियों का है। खाद से ज्यादा अन्य सामग्रियों का किराया होने के कारण किसानों को जबरन थोपा जा रहा है न चाहने पर भी सामग्री दे दी जाती है। इससे किसान परेशान है।
शासन की नीति किसानों की समझ के परे –
खाद के साथ जबरदस्ती अन्य सामग्रियों की बिक्री की शासन की नीति समझ के परे है। जिन किसानों के पास पैसा नहीं होता तो खाद लेने के चक्कर में कर्ज लेकर अन्य सामग्रियों की खरीदी करते हैं। कृषि विभाग के अधिकारी और अन्य जवाबदेह अधिकारी शासन के आदेश और व्यवस्था का हवाला देते हुए बिक्री कर रहे हैं। इसका प्रदेश काफी विरोध करने की राजनीति राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने तय कर ली है। समय रहते अन्य सामग्रियों की खरीदी की अनिवार्यता खत्म नहीं की गई तो किसान संघ संगठित होकर इसका विरोध करना शुरू कर देंगे।
प्राइवेट कंपनियों से सांठगांठ –
प्राइवेट कंपनियों से सांठगांठ के कारण ऐसा जबरदस्ती किया जा रहा है। इसकी जांच पड़ताल कराकर कार्यवाही की जानी चाहिए, अन्यथा किसान विरोध करने के साथ-साथ सरकार की किसान विरोधी नीति नियति की पोल खोलेंगे। किसान हितैषी होने का दंभ भरने वाली सरकार ने जबरदस्ती प्राइवेट कंपनियों की सामग्रियों को बिकवाया जा रहा है। न चाहने पर या आवश्यकता नहीं होने पर भी जबरदस्ती दिया जा रहा है। न लेने पर खाद नहीं दी जाती है।
इस मामले पर गंभीरता पूर्वक विचार-
विमर्श करके समय रहते उचित निर्णय नहीं लिया गया तो राष्ट्रीय किसान मजदूर महा संघ के बैनर तले आंदोलन शुरू हो जायेगा। जिसकी सारी जवाबदारी संबंधित अधिकारी की होगी।
जिला कलेक्टर, हरदा सिद्धार्थ जैन का कहना है कि खाद के साथ अन्य सामग्रियां कहीं भी नहीं बेची जा रही है । ऐसी कहीं कोई स्थिति निर्मित होती है तो जांच पड़ताल कराकर कार्रवाई की जाएगी।
(Udaipur Kiran) / Pramod Somani
