

रामगढ़, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । श्री दक्षलक्षण महापर्व के आठवें दिन गुरुवार को उत्तम त्याग धर्म की पूजा सोमवार को बहुत ही आनंदमयी और भक्तिमय तरीके से संपन्न हुई।
उत्तम त्याग धर्म के विषय पर प्रकाश डालते हुए सांगानेर शिक्षण संस्थान से आए विद्वान आचार्य निवेश शास्त्री ने कहा कि परिग्रह की निवृती को त्याग कहते हैं। बिना किसी प्रत्युपकार की अपेक्षा के अपने पास होने वाली ज्ञानादि संपदा को दूसरों के हित और कल्याण के लिए लगाना उत्तम त्याग धर्म है। उन्होंने कहा कि औषध, शास्त्र, अभय, आहार दान के चार प्रकार है। इन चारों की पूर्ति करना ही उत्तम त्याग धर्म है। उत्तम पात्र चयन कर यथाशक्ति दान करना ही त्याग धर्म का सार है। त्याग धर्म के अवसर पर मेन रोड स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में जलाभिषेक का सौभाग्य नितिन जैन, मनीष पाटनी परिवार, मांगीलाल जैन, मनोज चूड़ीवाल परिवार, राजेंद्र जैन, राजेश चूड़ीवाल परिवार, पुष्पा अजमेरा परिवार, इंद्रमणि देवी चूड़ीवाल परिवार और अरुणा जैन परिवार को प्राप्त हुआ।
वहीं, शांति धारा का सौभाग्य अशोक जैन, उषा सेठी परिवार एवं हीरालाल जैन, राजेंद्र पाटनी परिवार को प्राप्त हुआ। जबकि, रांची रोड स्थित पारसनाथ जिनालय में जलाभिषेक और शांतिधारा का सौभाग्य जीवनमल जैन, जम्बू पाटनी परिवार को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए सचिव योगेश सेठी ने बताया कि इस बार के भव्य आयोजन में समाज में भक्ति की एक नई लहर बह रही है। समाज का प्रत्येक सदस्य दशलक्षण पर्व रंगों में रंगे हुए हैं। साथ ही, श्री सेठी ने समाज के सभी व्रतधारियों को किए व्रत के लिए पूरी समाज की तरफ से अनुमोदन किया। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को महापर्व के नवें दिन उत्तम अकिंचन्य धर्म की पूजा होगी।
—————
(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश
