
– अमेरिका ने 2025 में 12 और 2026 में 20 इंजनों की डिलीवरी करने का भरोसा दिया
नई दिल्ली, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । केंद्र सरकार से 97 और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क-1ए लड़ाकू विमान खरीद की मंजूरी मिलने के बाद भारतीय वायु सेना के लिए कुल 180 विमानों का उत्पादन किया जाना है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने 83 विमानों का ऑर्डर मिलने पर प्रति वर्ष 16 जेट तैयार करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 97 विमानों का और ऑर्डर मिलने पर प्रति वर्ष 30 जेट का उत्पादन करने की तैयारी है। इन सबके बीच इस विमान के लिए इंजन का मुद्दा बेचैन करने वाला है, क्योंकि लंबे इंतजार के बाद भारत को अमेरिका से अभी तक सिर्फ दो जीई-404 इंजन मिल पाए हैं और बाकी के लिए आपूर्ति का इंतजार है।
भारतीय वायु सेना के लिए 83 तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट के सौदे पर 03 फरवरी, 2021 को बेंगलुरु में एयरो इंडिया के दौरान हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ हस्ताक्षर हुए थे। इसके बाद वायु सेना की जरूरतों को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने लगभग डेढ़ साल पहले 97 और एलसीए मार्क-1ए खरीदने के लिए 65 हजार करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया था। अब पीएम की अगुवाई वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने मंगलवार को 97 और स्वदेशी तेजस लड़ाकू जेट और छह उन्नत एयरबोर्न अर्ली-वार्निंग एंड कंट्रोल (अवाक्स) विमान के लिए अंतिम मंजूरी दे दी, जिसकी कुल कीमत लगभग 85,500 करोड़ रुपये है।
मंत्रालय के अनुसार यह 65 हजार करोड़ रुपये का स्वदेशी सैन्य हार्डवेयर के लिए अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर है, क्योंकि 83 एलसीए मार्क-1ए के लिए पिछला ऑर्डर 48 हजार करोड़ रुपये का था। इससे आने वाले वर्षों में चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत और ‘मिली हुई’ चुनौती से निपटने के लिए महत्वपूर्ण होगा। एचएएल के साथ अतिरिक्त 97 तेजस एमके-1ए के सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद कुल 180 विमानों का उत्पादन किया जाना है। एचएएल ने 83 विमानों का ऑर्डर मिलने पर प्रति वर्ष 16 जेट तैयार करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 97 विमानों का और ऑर्डर मिलने पर प्रति वर्ष 32 जेट का उत्पादन करने की तैयारी है। एचएएल के सीएमडी डीके सुनील ने इस प्रयास को आगे बढ़ाने में अभूतपूर्व भूमिका निभाई है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह कार्यक्रम भारतीय वायु सेना को मिग-21, मिग-23 और मिग-27 के अपने बेड़े को बदलने में मदद करेगा। वायु सेना की जरूरतों को देखते हुए तैयार किये जा रहे एलसीए तेजस एमके-1ए फाइटर जेट में एवियोनिक्स, हथियार और रखरखाव में 43 तरह के सुधार किये गए हैं। आधुनिक वायु युद्ध के लिहाज से यह सुधार काफी महत्वपूर्ण है। तेजस एमके-1ए में हवाई युद्ध के लिए नजदीकी, बीवीआर और लंबी दूरी की बीवीआर बेहतर मिसाइलें होंगी। इसमें हवा से जमीन पर हमला करने के लिए 500 किलोग्राम एलजीबी और बिना गाइड वाले बम भी होंगे।ये विमान पुराने पड़ चुके मिग-21 विमानों की जगह लेंगे, जिन्हें आने वाले हफ्तों में चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने की योजना है।
एचएएल के मुताबिक अब तेजस एमके-1ए में अत्याधुनिक एईएसए रडार होगा, जो तेजस एमके-1 के इजरायली ईएल/एम-2032 रडार से बेहतर होगा। पहले बैच में इजरायली ईएल/एम-2052 राडार होगा, जबकि बाकी में स्वदेशी ‘उत्तम’ राडार होगा। तेजस एमके-1ए में इजरायली ईएलएल-8222 जैमर पॉड होगा, जो बीवीआर या एसएएम मिसाइलों के राडार सिग्नल को बाधित करेगा। नए विमान में 65 फीसदी से अधिक घटक स्वदेशी हैं, जो एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता को उजागर करता है। तेजस विमान का पहला संस्करण 2016 में शामिल किया गया था। वर्तमान में भारतीय वायु सेना के दो स्क्वाड्रन इस विमान का संचालन करते हैं, जिसके आने वाले वर्षों में वायु सेना का सबसे बड़ा लड़ाकू बेड़ा बनने की उम्मीद है।
विमानों की आपूर्ति में देरी के कारण वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह की आलोचना का सामना करने के बाद एचएएल ने वादा किया है कि वह धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ाकर 20 तेजस विमान प्रति वर्ष करेगा और फिर 24-30 तेजस विमान प्रति वर्ष करेगा। इसीलिए बेंगलुरु में मौजूदा दो उत्पादन लाइनों के अलावा तीसरी उत्पादन लाइन अब नासिक प्लांट में पूरी तरह से चालू हो गई है। एचएएल को 180 एलसीए मार्क 1ए खरीदने का ऑर्डर दिए जाने के बावजूद इंजन का मुद्दा अभी सुलझा नहीं है। लंबे इंतजार के बाद भारत को इस लड़ाकू विमान के लिए अमेरिका से दूसरा जीई-404 इंजन मिल पाया है। अमेरिका ने 2025 में 12 और 2026 में 20 इंजनों की डिलीवरी करने का भरोसा दिया है। ——————
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम
