
नैनीताल, 25 जुलाई (Udaipur Kiran) । कुमाऊँ विश्वविद्यालय में प्रसिद्ध लेखक व वन्यजीव संरक्षण के अग्रदूत एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट यानी जिम कॉर्बेट की 150वीं जयंती मनायी गयी। इस अवसर पर इतिहास विभाग, छात्र क्लब संक्रांति और नैनीताल एक्वेटिक एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स एसोसिएशन (नासा) के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष स्मृति कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों, शिक्षकों और अतिथियों ने कॉर्बेट के जीवन, लेखन तथा कुमाऊँ से उनके गहरे संबंधों पर आधारित प्रस्तुतियाँ दीं।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सहायक प्रो. शिवानी रावत ने विद्यार्थियों को स्थानीय साहित्यिक परंपराओं से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। संक्रांति क्लब की छात्र संपादक नंदिनी ने कॉर्बेट को “एक शिकारी जिसने बंदूक की जगह कलम उठाई” कहते हुए उनके जीवन को सहज भाषा में प्रस्तुत किया। क्लब के अध्यक्ष डॉ रीतेश साह ने कॉर्बेट की लेखन शैली, पर्यावरणीय दृष्टिकोण तथा उनके कार्यों को केवल रोमांच नहीं, बल्कि संवेदनशील संवाद और संरक्षण चेतना का जीवंत दस्तावेज बताया। कार्यक्रम में जिम कॉर्बेट द्वारा शिकारी के रूप में नरभक्षी बाघों और तेंदुओं के शिकार की ऐतिहासिक घटनाओं को भी याद किया गया।
बताया गया कि उन्हें 33 नरभक्षी जानवरों का शिकार करने का श्रेय है, जिनमें चंपावत की बाघिन (436 लोगों की मृत्यु) और रुद्रप्रयाग का तेंदुआ (लगभग 125 लोगों की मृत्यु) विशेष रूप से चर्चित रहे। डॉ. साह ने कहा कि कॉर्बेट को उनकी जयंती पर याद करना केवल इतिहास को सम्मान देना नहीं है, बल्कि उनके संरक्षण दृष्टिकोण को आत्मसात कर प्रकृति की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराने का अवसर भी है।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने भी प्रभावशाली प्रस्तुतियाँ दीं। लघिमा जोशी ने ‘द चंपावत मैनईटर’ व नकुल बिष्ट ने ‘मैनईटिंग लेपर्ड ऑफ रुद्रप्रयाग’ पुस्तकों पर प्रस्तुतियां दीं। रंगकर्मी नकुल देव साह ने कॉर्बेट के लेखन का नाटकीय पाठ किया। इतिहास विभाग के प्रो. संजय घिल्डियाल ने कॉर्बेट को केवल लेखक या शिकारी न मानते हुए, पर्यावरण चेतना का अग्रदूत बताया। कार्यक्रम में प्रो. संजय टम्टा, डॉ. हरिप्रिया पाठक, डॉ. मनोज बाफिला, नासा के संयुक्त सचिव सागर देवरारी सहित डीएसबी परिसर के विद्यार्थियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी
