
प्रयागराज, 26 नवम्बर (Udaipur Kiran) । हर मनुष्य के जीवन में गुरू का बड़ा महत्व है। गुरू ही ब्रह्मा है, गुरू ही विष्णु है और गुरू ही भगवान शंकर हैं। गुरू के इसी महत्व के कारण हर व्यक्ति को अपना कोई गुरू बनाना चाहिए और गुरू के बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए।यह बातें आराधना महोत्सव के अन्तर्गत श्री श्रीब्रह्म निवास, श्री शंकराचार्य आश्रम अलोपीबाग में बुधवार से श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती महाराज श्री गुरू का माहात्म्य बताते हुए कही। उन्होंने कहा कि गुरू जीवन में ज्ञान प्रकाश भर देता है और जीवन से अन्धकार को दूर कर देता है, इसलिए प्रत्येक वर्ष गुरूओं का स्मरण व पूजन आराधना महोत्सव के माध्यम से किया जाता है।
श्रीमद्भागवत महापुराण कथा सुनाते हुए स्वामी अखन्डानन्द सरस्वती महाराज के शिष्य श्रवणानंद सरस्वती महाराज, आनंद वृन्दावन मोती झील, श्रीधाम वृन्दावन ने श्रीमद्भागवत व भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि भागवत भगवान का विग्रह है।प्रवक्ता ओंकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा स्थल पर सर्वप्रथम वेदी रचना और भगवान गणेश व लक्ष्मीमाता की पूजा 11 विप्रों द्वारा की गई। कार्यक्रम में प्रतिदिन 7 से 12 बजे मध्यान्ह तक श्रीमद्भागवत का पाठ, प्रातः 7 बजे से 12 बजे तक श्रीरामभक्त रसिक प्यारे मोहन द्वारा मानस गायन किया जायेगा। श्रीमद्भागवत कथा के क्रम में प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से 6 बजे तक श्रीमद्भागवत कथा होगी।कथा में प्रमुख रूप से पं. शिवार्चन उपाध्याय शास्त्री पूर्व प्रधानाचार्य, ज्योतिष्पीठ संस्कृत महाविद्यालय, व्यास दंडी स्वामी विवेकानंद सरस्वती, दंडी स्वामी विश्वदेवानंद सरस्वती एवं आचार्य मनीष मिश्रा आदि प्रमुख रूप से सम्मिलित रहे।
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र