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गुरुग्राम: एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना ही वास्तव में मन की बात: आशा दीदी

गुरुग्राम में ओम शांति रिट्रीट सेंटर में मन की बात कार्यक्रम में उपस्थित बच्चे एवं पेरेंट्स।

-ब्रह्माकुमारीज ने किया मन की बात कार्यक्रम

-ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ आयोजन

-कार्यक्रम में 250 से भी अधिक बच्चे एवं पेरेंट्स हुए सम्मिलित

गुरुग्राम, 23 जून (Udaipur Kiran) । ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में सोमवार को बच्चों एवं पेरेंट्स के लिए मन की बात कार्यक्रम हुआ। एक दिवसीय कार्यक्रम में बच्चों और पेरेंट्स के बीच में बेहतर संवाद पर चर्चा हुई। ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने बच्चों सभा को सम्बोधित करते हुए विशेष प्रेरणा दी।

उन्होंने कहा कि मन की बात का अर्थ वास्तव में एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना है। बच्चे हों या बड़े हरेक चाहता है कि उसकी बात सुनी जाए। अगर किसी की बात अच्छी नहीं भी लगती तो भी उसे तुरंत अस्वीकार नहीं करना चाहिए। बल्कि उसे उससे भी बेहतर समाधान दें। उन्होंने कहा कि बच्चे दिल के सच्चे होते हैं। उन्हें प्यार से समझाओ तो समझ जाते हैं। सुप्रसिद्ध मोटिवेशनल एवं मेमोरी ट्रेनर बीके अदिति सिंघल ने कहा कि पेरेंट्स बच्चों को उचित समय नहीं दे पाते। उन्होंने कहा कि आज व्यक्ति ज्यादातर समय मोबाइल और सोशल मीडिया पर ही बिताता है। सोशल मीडिया पर दूसरों के बारे में तो जानकारी मिल जाती है। जो लोग सोशल मीडिया पर अधिक रहते हैं, उनके जीवन में घबराहट और असुरक्षा बनी रहती है। इसलिए पेरेंट्स को बच्चों को समय देना जरूरी है। उनकी भावनाओं को समझने की आवश्यकता है। जब बच्चे बड़े होते हैं तो वो अपनी हर बात साझा नहीं करते। कार्यक्रम में पैनल डिस्कशन के माध्यम से भी अनेक विषयों पर चर्चा हुई। कई वर्षों से राजयोग का अभ्यास कर रहे बच्चों ने अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि राजयोग के अभ्यास से उनकी एकाग्रता बढ़ी है। साथ ही उनकी प्रतिभा का निखर हुआ है। कार्यक्रम में वक्ताओं ने आध्यात्मिकता के आधार पर अनेक विषयों की गहन जानकारी दी। बच्चों और पेरेंट्स ने अपनी समस्याओं का भी जिक्र किया। विशेषज्ञों द्वारा उन्हें उचित सुझाव दिए गए।

(Udaipur Kiran)

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