Haryana

गुरुग्राम: महर्षि वाल्मीकि ने सिखाया सत्य के मार्ग पर चलना ही सबसे बड़ी साधना: बिमला चौधरी

गुरुग्राम के स्वतंत्रता सेनानी भवन में स्वच्छता कर्मचारियों को सम्मानित करते अतिथि।

-समारोह में 75 स्वच्छता कर्मियों को किया गया सम्मानित

गुरुग्राम, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । महर्षि वाल्मीकि भारत के आदि कवि और महान ऋषि थे, जिन्होंने न केवल संस्कृत भाषा को समृद्ध किया बल्कि शिक्षा, सत्य और परिश्रम का अमर संदेश भी दिया। हजारों वर्ष पूर्व रचित उनकी रामायण आज भी मानवता को धर्म, करुणा और आदर्श जीवन की प्रेरणा देती है। उन्होंने समाज को यह सिखाया कि सत्य के मार्ग पर चलना ही सबसे बड़ी साधना है। यह बात पटौदी से विधायक बिमला चौधरी ने कही।

वे मंगलवार को यहां जिला स्तरीय महर्षि वाल्मीकि जयंती समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रही थी। समारोह में सोहना के विधायक तेजपाल तंवर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। वहीं भाजपा के गुरुग्राम महानगर के जिला अध्यक्ष अजीत यादव, निगम पार्षद धर्मबीर भांगरोला की गरिमामयी उपस्थिति रही। अतिथिगण ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ ही महर्षि वाल्मीकि जी के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। समारोह में पहुंचने पर अतिथिगण का आयोजन के नोडल अधिकारी एवं अतिरिक्त श्रम आयुक्त कुशल कटारिया तथा विभाग की ओर से जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी बिजेंद्र कुमार ने स्वागत एवं अभिनंदन किया। समारोह में अपने संबोधन में विधायक बिमला चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मार्गदर्शन में हरियाणा सरकार द्वारा संत महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना चलाई जा रही है। इस परंपरा के शुरू होने से सामाजिक समरसता और महान संतों की गौरव गाथा को जन-जन तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया जा रहा है। विधायक तेजपाल तंवर ने समारोह में उपस्थितजन को संबोधित करते हुए कहा कि महर्षि वाल्मीकि हमारे देश के इतिहास के अद्वितीय संत, ऋषि और आदि कवि थे, जिन्होंने मानव जीवन के मूल्यों, आदर्शों और मर्यादाओं को अपने काव्य के माध्यम से पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने उस समय में रामायण की रचना की जब न विज्ञान का विकास हुआ था और न ही किसी प्रकार की तकनीकी सुविधा थी, फिर भी उनके ज्ञान और दृष्टि में इतनी गहराई थी कि उन्होंने युगों पहले वह सब लिखा जो आगे चलकर घटित हुआ। भाजपा गुरुग्राम महानगर के जिलाध्यक्ष अजीत यादव ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि युगद्रष्टा और समाज सुधारक थे। आज आवश्यकता है कि हम उनके बताए हुए मार्ग पर चलें, शिक्षित बनें, संगठित बनें और समाज के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएं।

(Udaipur Kiran)

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