-पुलिस ने नूंह जिला से छह आरोपी पकड़े, 2500 बैंक खाते फ्रीज
-ठगी में कर्मचारियों की मिलीभगत की भी हो रही जांच
गुरुग्राम, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । पुलिस ने साइबर ठगी के आरोप में नूंह जिला से छह लोगों को काबू किया है। आरोपियों ने गुरुग्राम की मोबिक्विक वॉलेट कंपनी में 40.22 करोड़ रुपये की ठगी की। पुलिस ने आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे 2500 से अधिक बैंक खाते फ्रीज किए हैं। सेक्टर-53 थाना प्रभारी रामबीर सिंह ने मंगलवार को बताया कि मामले की जांच की जा रही है। कंपनी से संबंधित दस्तावेज और बैंक की जानकारी मांगी गई है। शक यह भी है कि इस मामले में कंपनी के कर्मचारियों व अधिकारियों की भी भूमिका हो।
मोबिक्विक कंपनी के कानूनी सलाहकार बालकिशन लाधानिया ने सेक्टर-53 थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। उन्होंने बताया कि 12 सितंबर को खातों की जांच करते समय उन्हें कुछ संदिग्ध लेन-देन मिले। जांच में पता चला कि कुछ मोबिक्विक वॉलेट की गड़बड़ी के कारण ग्राहक उसका फायदा उठाते हुए गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। यूपीआई से कोई ट्रांजेक्शन फेल होती है तो पैसे दूसरे के खाते में ट्रांसफर नहीं होते। यहां तकनीकी खराबी की वजह से फेल हुई ट्रांजेक्शन के रुपये भी लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर हो रहे थे। कुछ लोगों द्वारा अपने वॉलेट में मौजूद राशि से भी अधिक रुपये ट्रांसफर किए जा रहे थे। इस तरह से कंपनी के साथ 40 करोड़ 22 लाख 32 हजार 210 रुपयेे की धोखाधड़ी कर ली गई। शिकायत में यह भी कहा गया कि कंपनी के साथ सीधे तौर पर यह फ्रॉड किया गया है। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज करके आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपियों की पहचान रेहान निवासी गांव रेवासन थाना रोजका मेव (नूंह), मोहमद सकील पुत्र हाजी याकूब निवासी उटावड़ हटेडा मोहल्ला (पलवल), वकार यूनुस निवासी गांव कामेडा तहसील फिरोजपुर झिरका (नूंह), वसीम अकरम निवासी गांव मरोड़ा, थाना नगीना (नूंह), मोहम्मद आमिर निवासी गांव कामेड़ा, थाना फिरोजपुर झिरका (नूंह) व मोहम्मद अंसार निवासी गांव कामेड़ा, थाना फिरोजपुर झिरका (नूंह) के रूप में हुई है। सेक्टर-53 थाना प्रभारी रामबीर सिंह के मुताबिक पुलिस एक-एक ट्रांजेक्शन पर गहनता से जांच कर रही है। कंपनी के दस्तावेज व बैंक की पूरी जानकारी मांगी गई है। जांच पूरी होने के बाद भी पूरा मामला उजागर होगा।
कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि आमतौर पर कोई भी मोबिक्विक ग्राहक अपने यूपीआई के माध्यम से अपने मोबिक्विक वॉलेट से भुगतान करता है। या फिर वह क्यूआर कोड या साउंडबॉक्स को स्कैन करके रकम ट्रांसफर करता है। तब जाकर खाते में रकम जमा हो पाती है। यहां तकनीकी गड़बड़ी के चलते कुछ लेन-देन अटकेे। इसके बाद भी वे व्यापारी के पक्ष में सफल प्रदर्शित किए गए थे। यहीं से गड़बड़ी की आशंका हुई।
(Udaipur Kiran)
