Haryana

गुरुग्राम: चार पीढिय़ों के पुरोधा रहे धनराज सिंह नंबरदार का 96 साल की उम्र में निधन

स्वर्गीय धनराज सिंह नंबरदार।

-पातली के धनराज नंबरदार का 96 साल की उम्र में निधन

-अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं

-सुविधाओं के अभाव में भी बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर बनाया कामयाब

गुरुग्राम, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिला के गांव पातली के नंबरदार रहे धनराज सिंह का जीवन के शतक से चार साल पहले 96 साल की उम्र में निधन हो गया। चौथी पीढ़ी के पुरोधा रहे धनराज नंबरदार अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।

आजादी से पहले 31 अक्टूबर 1929 को जन्में धनराज सिंह बागोरिया नंबरदार ने अपने जीवनकाल में समाजसेवा को सदा महत्व दिया। हर किसी को उन्होंने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए पे्ररित किया। उनके सात बेटे व दो बेटियां (9 संतानें) हुई, जिन्हें अच्छी शिक्षा दिलाकर उन्होंने कामयाबी की सीढ़ी चढ़ाया। उनके सबसे बड़े बेटे रामबीर फरीदाबाद में आबकारी विभाग में सेवारत रहे। दूसरे बेटे रोहताश सिंह फरीदाबाद में एस्कोर्ट कंपनी से सेवानिवृत हुए। तीसरे बेटे तेजपाल सिंह एक कंपनी में अकाउंटेंट हैं। चौथे नंबर के बेटे चांद किशोर गांव पातली में ही रहते हुए अपने माता-पिता की सेवा में लगे रहे। चांद किशोर पातली गांव की पंचायत में पंच रहे और उन्होंने गांव में विकास के कई कार्य करवाए। गांव में चौपाल व सचिवालय के निर्माण में भी पंच चांद किशोर ने अपनी महत्ती सेवाएं दी हैं। निर्माण कार्य शुरू होने से लेकर निर्माण पूरा होने के बाद भी उन्होंने गांव में बने इन सामुहिक संस्थानों को संभाले रखा। वर्षों तक उन्होंने पत्रकारिता भी की है।

पांचवें नंबर के बेटे हरिकिशन गांव में ही रहते हैं। पिता के बाद गांव के नंबरदार का दायित्व उनके पास है। छठे बेटे नरेंद्र हरियाणा स्वास्थ्य विभाग में सिविल सर्जन हैं। कई जिलों के सरकारी अस्पतालों में उन्होंने बतौर डेंटिस्ट सेवाएं दी हैं। सातवें बेटे देवेंद्र गुरुग्राम में ही एक कंपनी में उच्च पद पर हैं। उनकी दो बेटी हैं, जो कि समाजसेवा के क्षेत्र में काम करती हैं। बेटों के बाद पौते-पौतियों से भी भरा-पूरा परिवार है। उनकी तीसरी पीढ़ी के बच्चे भी कामयाबी की सीढ़ी चढ़ चुके हैं। अलग-अलग प्रोफेशन में सभी काम कर रहे हैं। धनराज सिंह नंबरदार की चौथी पीढ़ी भी आगे बढ़ रही है। उनके दिए संस्कारों से आज पूरा परिवार अपने अपने क्षेत्र में सेवारत है।

(Udaipur Kiran)

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