
-25 सोसायटी में 80-90 प्रतिशत रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के बाद निष्क्रिय हो गए
-69 आरडब्ल्यूए के साथ जिला प्रशासन तथा जीएमडीए की वर्कशॉप
गुरुग्राम, 15 नवंबर (Udaipur Kiran) । जल संरक्षण की दिशा में बड़ी पहल करते हुए जिला प्रशासन गुरुग्राम तथा गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार को सेक्टर-49 स्थित डीएवी स्कूल के सभागार में रेन वाटर हार्वेस्टिंग एवं रिचार्ज सिस्टम पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप में 69 हाउसिंग सोसायटीज के आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों एवं डेवलपर्स ने सक्रिय सहभागिता दर्ज कराई।
वर्कशॉप की अध्यक्षता जीएमडीए के प्रधान सलाहकार डी.एस. ढेसी ने की, जबकि डीसी अजय कुमार भी विशेष रूप से मौजूद रहे। कार्यक्रम के संचालन में मॉडरेटर के रूप में डीटीपी नोडल अधिकारी आर.एस. बाठ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वर्कशॉप को संबोधित करते हुए डी.एस. ढेसी ने कहा कि जीएमडीए द्वारा शहर की 69 प्रमुख हाउसिंग सोसायटियों को चिन्हित कर विशेष रूप से इस वर्कशॉप में आमंत्रित किया गया। उन्होंने कहा कि पूर्व में हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी(अब एचएसवीपी) ने 500 गज से बड़े प्लॉट पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य किया था, परन्तु आज की परिस्थिति में मल्टी-स्टोरी सोसायटियां कहीं अधिक बड़े क्षेत्र और अधिक जनसंख्या को प्रभावित करती हैं। ऐसे में यदि चुनिंदा 70 सोसायटियां प्रभावी सिस्टम चलाएं तो यह 14,000 से अधिक प्लॉट्स के बराबर सकारात्मक प्रभाव पैदा करता है।
ढेसी ने कहा कि दो माह पहले 25 सोसायटियों के रैंडम निरीक्षण में यह सामने आया कि 80-90 प्रतिशत रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर सिर्फ निर्माण के समय बनाए गए। बाद में उनका रखरखाव नहीं हुआ, जिससे वे लगभग निष्क्रिय स्थिति में पहुंच गए। उन्होंने कहा कि यह स्थिति गंभीर है। उन्होंने नोडल अधिकारी आर एस बाठ को निर्देश दिए कि वे 31 दिसंबर के उपरांत 10 से 15 सोसाइटीज में यह चेक करें कि उनके यहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कार्यशील है कि नहीं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि आज की वर्कशॉप में जो भी सोसाइटीज या आरडब्ल्यूए अनुपस्थित हैं, उनके यहां इसकी विशेष जांच की जाए।
जल संरक्षण अब विकल्प नहीं अनिवार्यता बन चुका है: अजय कुमार
डीसी अजय कुमार ने वर्कशॉप में कहा कि गुरुग्राम जैसे तेजी से विकसित होते शहर में जल संरक्षण अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन चुका है। उन्होंने कहा कि बारिश के बढ़ते पैटर्न, तीव्र वर्षा की घटनाओं और लगातार गिरते भूजल स्तर के चलते हमें बड़े प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भी अन्य समाधान अपनाने होंगे। डीसी ने बताया कि शहर में कई स्थानों पर एक घंटे में 40 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई, जबकि हमारे मौजूदा ड्रेनेज स्ट्रक्चर 15-20 मिमी प्रति घंटे की क्षमता के हिसाब से बने हैं। ऐसे में जलभराव की समस्या स्वाभाविक है। इसलिए हर सोसायटी में प्रभावी रिचार्ज स्ट्रक्चर अनिवार्य हैं, ताकि कम से कम 30-40 प्रतिशत पानी जमीन में लौट सके और जलभराव के साथ-साथ जलसंकट दोनों चुनौतियों का समाधान हो सके। ।
(Udaipur Kiran)