गुरुग्राम, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । देवउठनी ग्यारस पर सामाजिक प्रथा बाल विवाह होने का अंदेशा बना रहता है, जो बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अन्तर्गत कानूनी अपराध है। संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध विभाग द्वारा देवउठनी ग्यारस पर बाल विवाह रोकने के लिए अभियान चलाकर खण्ड स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी गुरुग्राम मधु जैन ने बताया कि जागरुकता कार्यक्रम के दौरान महिलाओं व आमजन को बाल विवाह जैसी बुराई को जड़ से खत्म करने का आह्वान किया जा रहा है, जिसमें सभी का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत 18 वर्ष से कम आयु की लड़की व 21 वर्ष से कम आयु के लड़के को नाबालिग माना जाता है। यदि कम आयु में विवाह किया जाता है तो यह संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है। जो भी बाल विवाह करवाता है, उसको बढ़ावा देता है या उसकी सहायता करता है, तो उसे 2 साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। उन्होंने विवाह में सेवा देने वाले टेंट, हलवाई, पंडित, केटरर, प्रिटिंग प्रेस वालों से भी आह्वान किया कि ऐसे किसी भी विवाह कार्यक्रम में न तो शामिल हों और न ही अपनी सेवायें दे। अन्यथा उनके विरूद्ध भी कानूनी कार्रवाई की जायेगी।
(Udaipur Kiran)