Haryana

गुरुग्राम: बाल विवाह से पीडि़त बच्चों के संरक्षण को दिशा-निर्देश जारी

गुरुग्राम, 19 जून (Udaipur Kiran) । सोसायटी ऑफ इनलाइटनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन बनाम भारत संघ वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने बाल विवाह से पीडि़त बच्चों की रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

निर्णय के भाग नौ में न्यायालय ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देशित किया कि वह एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करें, जिसमें पीडि़तों को दी जाने वाली विधिक सहायता तथा दीर्घकालिक पुनर्वास की विस्तृत रूपरेखा हो।

यह प्रक्रिया अधिवक्ताओं, कानून प्रवर्तन अधिकारियों तथा बाल संरक्षण से जुड़े सभी हितधारकों के लिए एक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करेगी। इन निर्देशों के पालन में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बाल विवाह की रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की गई है। यह प्रक्रिया विभिन्न संस्थानों के बीच समन्वय को सुदृढ़ करती है। सभी संबंधित पक्षों की साझी भागीदारी को सुनिश्चित करती है, जिससे बाल विवाह के विरुद्ध एक संगठित और प्रभावी कार्यवाही संभव हो सके।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गुरुग्राम के सचिव रजत वर्मा ने गुरुवार को बताया कि इस प्रक्रिया के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष द्वारा एक विशेष इकाई का गठन किया गया है, जिसका नाम आशा (जागरुकता, सहयोग, सहायता और कार्रवाई) रखा गया है।

इस इकाई में परिवार न्यायालय के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, अधिवक्ताओं का पैनल, पैरा विधिक स्वयंसेवक, बाल कल्याण समिति के सदस्य, पुलिस संपर्क अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारी, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि तथा अन्य संबंधित हितधारक शामिल हैं। आशा इकाई के गठन के पश्चात यह निरंतर रूप से आमजन को विभिन्न सहायता सेवाओं की जानकारी देने का कार्य कर रही है। इस कार्य में गैर-सरकारी संस्था शक्ति वाहिनी भी पूर्ण सहयोग कर रही है, जो विभिन्न स्थानों पर जागरूकता शिविरों का आयोजन कर रही है।

(Udaipur Kiran)

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