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जीएसटी विभाग नए कर ढांचे के सुचारू क्रियान्वयन के लिए उद्योग से कर रहा समन्वय : सीबीआईसी प्रमुख

सीबीआईसी के लोगो का प्रतीकात्‍मक चित्र

नई दिल्‍ली, 04 सितंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने गुरुवार को कहा कि वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग 22 सितंबर से लागू होने वाले नए कर ढांचे को सुचारू ढंग से लागू करने के लिए उद्योग जगत के साथ मिलकर सॉफ्टवेयर उन्नत बनाने पर काम कर रहा है।

सीबीआईसी प्रमुख ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “जीएसटी विभाग संशोधित कर ढांचे को सुचारू और बिना किसी रुकावट के लागू करने के लिए सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने हेतु उद्योग जगत के साथ समन्वय कर रहा है।” अग्रवाल ने विश्वास व्यक्त किया कि 22 सितंबर से लागू होने वाली नई दरें और कर गणना प्रणाली बिना किसी व्यवधान के लागू हो जाएंगी।

संजय कुमार अग्रवाल ने कहा, शुरुआती महीनों में जीएसटी राजस्‍व संग्रह में कुछ गिरावट की उम्मीद है, क्योंकि करों का भुगतान संचित आईटीसी के माध्यम से किया जाता है, लेकिन त्योहारी मांग से बिक्री में तेजी आएगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि उद्योगों को उन वस्तुओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) जमा होने को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, जिनपर कर की दरों में कटौती की गई है। वे इस संचित आईटीसी का इस्तेमाल कर के भुगतान में कर सकेंगे।

अग्रवाल ने विश्वास व्यक्त किया कि 22 सितंबर से लागू होने वाली नई दरें और कर गणना प्रणाली बिना किसी व्यवधान के लागू हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि व्यवसायों और उद्योग जगत के लोगों के पास अपने बैक-एंड सिस्टम में आवश्यक समायोजन करने के लिए दो हफ्ते का समय है। सीबीआईसी प्रमुख ने तैयारियों को लेकर चिंताओं का समाधान करते हुए कहा कि कर विभाग ने पहले ही व्यवसायों और सॉफ्टवेयर प्रदाताओं के साथ समन्वय शुरू कर दिया है, ताकि समय रहते बैक-एंड सिस्टम को अपग्रेड किया जा सके।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने आठ साल पहले शुरू हुई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के अबतक के सबसे व्यापक पुनर्गठन को अपनी मंजूरी दी है। जीएसटी परिषद ने बुधवार को 10 घंटे से ज्‍यादा चली अपनी 56वीं बैठक में एक सरलीकृत दो स्लैब प्रणाली 5 फीसदी और 18 फीसदी को मंजूरी दी है, जिसमें अति-विलासिता, तंबाकू, महंगी कारों और जुए जैसी अवगुण वस्तुओं के लिए एक अलग 40 फीसदी वाली स्लैब शामिल है।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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