Maharashtra

हरित क्रांति दूत डॉ प्रशांत को निसर्ग रत्न सम्मान, उम्र खपाई पर्यावरण हेतू

Green Revolution dr Prashant award nisarg ratn

मुंबई,5 अक्टूबर ( हि.स.) । पर्यावरण पत्रकारिता, जल संरक्षण और सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में एक चौथाई सदी से भी अधिक समय से निरंतर कार्यरत और समाज में हरित विचारों का संचार करने वाले डॉ. प्रशांत रेखा रवींद्र सिनकर को निसर्ग रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मुंबई के माहिम स्थित तेंदुलकर सभागार में सारस्वत हितवर्धक मंडल के 101वें वार्षिकोत्सव समारोह में प्रदान किया गया। ठाणे के पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि डॉ प्रशांत ने एक चौथाई शतक उम्र पर्यावरण संरक्षण में लगाई है।

दरअसल पिछले 25 वर्षों में, डॉ. प्रशांत सिनकर ने न केवल अपनी लेखनी के माध्यम से विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को उजागर किया है, बल्कि जल संरक्षण में स्थानीय प्रयोगों को बढ़ावा दिया है, जैव विविधता के महत्व पर बल दिया है ।देखा जाए तो प्रशांत सिनकर ने शुद्ध पेय जल के संरक्षण के लिए वर्षों काम किया है।जमीनी स्तर से पानी का स्तर कम न हो इसलिए उन्होंने हरे भरे वृक्ष लगाने के लिए स्वयं काम किया है और लोगों को प्रेरित भी किया है।बताया जाता है कि डॉ प्रशांत ने ठाणे में गणेश प्रतिमा व देवी विसर्जन के वक्त भी टीएमसी द्वारा निर्मित कृत्रिम तालाबों के उपयोग पर सवालियां निशान लगाए थे।वास्तविकता में गढ्ढों में प्लास्टिक परत चढ़ाकर कृत्रिम तालाबों की मिट्टी व कचरा तो अंततः आप खाड़ी में छोड़ते हैं। सिनकर ने शादू मिट्टी से बनी मूर्तियों के खाड़ी में फेंकने पर एतराज व्यक्त करते हुए समय समय पर मुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर ध्यान आकर्षित किया था। एक तरफ उन्होंने मैंग्रोव बचाने के लिए भी अभियान चलाया बल्कि पृथ्वी के बढ़ते तापमान पर सुरक्षित उपाय अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया।उल्लेखनीय है कि डॉ प्रशांत की प्रेरणा से ठाणे के दो पर्यावरण मित्रों ने सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला जैसे दुर्गम क्षेत्र गोया ग्राम पंचायत की बोधन पाडा में जहां टैंकर ही मात्र पेय जल का सहारा थे, वहां बांध बनकर जल स्तर बढ़ाने में सफलता हासिल की थी।उन्होंने आम नागरिकों में पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए जागरूकता पैदा की है। उनके संवेदनशील, सतत और प्रभावी कार्यों के सम्मान में, उन्हें निसर्ग रत्न पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार समारोह सोफिया कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अनघा तेंदुलकर पाटिल, बोर्ड अध्यक्ष सिद्धार्थ सिनकर, डॉ. उल्हास तेंदुलकर, देवीदास सिनकर, दीपक मुले, राहुल साखलकर, डॉ. उल्हास तेंदुलकर और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति में बड़े उत्साह के साथ आयोजित किया गया।

पुरस्कार ग्रहण करते हुए, डॉ. प्रशांत सिनकर ने भावुक शब्दों में अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं: यह पुरस्कार मेरे लिए व्यक्तिगत गौरव का विषय नहीं है, बल्कि प्रकृति के लिए आवाज़ उठाने वाले प्रत्येक संवेदनशील नागरिक का सम्मान है। प्रकृति बचेगी तो ही हमारा भविष्य बचेगा। यह पुरस्कार आने वाली पीढ़ियों को हरित जीवन शैली अपनाने का निमंत्रण है।

यह आशा व्यक्त की गई कि पर्यावरण संरक्षण के आंदोलन को नई दिशा देने वाला यह पुरस्कार उनके प्रयासों को नई गति प्रदान करेगा। सभागार में उपस्थित पर्यावरणविदों और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्तियों ने करतल ध्वनि से डॉ. सिनकर का अभिनंदन किया। उन्हें इससे पहले महाराष्ट्र सरकार सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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