
जम्मू, 8 जुलाई (Udaipur Kiran) । कश्मीर सोसाइटी इंटरनेशनल ने टैगोर हॉल में पुनर्जागरण, राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक उत्तरदायित्व विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन किया। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय की निदेशक डॉ. गीता सिंह, कश्मीर सोसाइटी इंटरनेशनल के चेयरमैन ख्वाजा फारूक रेंज़ुशाह और 3500 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों के अध्यक्ष प्रो. जी. एन. वार ने बुद्धिजीवियों के प्रतिष्ठित जमावड़े को संबोधित किया। अपने संबोधन में डॉ. गीता सिंह ने कश्मीर को अध्यात्म, एकता और ज्ञान की भूमि बताया और कहा कि पूरा देश कश्मीर पर गर्व करता है। उन्होंने आदिल शाह की बलिदान भावना की सराहना की, जिन्होंने आतंकवादियों पर प्रहार करते हुए हिंदुओं की जान बचाई। उन्होंने लाल चौक का नाम आदिल शाह चौक करने के निर्णय की भी सराहना की।
डॉ. सिंह ने सुलताना कोटा रानी फाउंडेशन, दमदार समुत और डॉटर्स ऑफ तसव्वुफ का आभार जताया जिन्होंने उन्हें कश्मीर में विशेष सम्मान प्रदान किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर की साझा शारदा संस्कृति भारत की प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा की मिसाल है और शारदा यहाँ की पहली आध्यात्मिक विश्वविद्यालय रही है। इस अवसर पर कई प्रसिद्ध लेखक, कवि और विद्वानों जैसे डॉ. ताहिर हुसैन, शेख माजिद, मरैयम दुहा, फैहीम साहिब, मोहम्मद सिद्दीक शाह, मंज़ूर दमदार, मोहम्मद अब्दुल्ला बटेरी, माजिद भट, नग्राद साहिब, ज़ैनब जी, प्रो. मेहराज साहिब, अवतार सिंह और ख्वाजा जावेद (अमा खोइजा के पोते) ने कश्मीर की साझा सांस्कृतिक विरासत, पुनर्जागरण और एकता पर विचार रखे।
ख्वाजा फारूक रेंज़ुशाह के सूफी तसव्वुफ को पुनर्जीवित करने के प्रयासों की सराहना की गई। उन्होंने 2004 में कट्टरपंथी साजिश के तहत बनाए गए औकाफ और वक्फ बोर्ड की आलोचना करते हुए कहा कि इससे कश्मीर में साम्प्रदायिक दरारें पैदा हुईं। उन्होंने बल दिया कि हज़रत बुलबुलशाह और शाह हमदान के समय की असली तसव्वुफ परंपरा को पुनः जागृत करने का समय आ गया है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
