Assam

राज्यपाल ने लिया एनआईपीईआर गुवाहाटी के 7वें दीक्षांत समारोह में हिस्सा

Governor Laxman Prasad Acharya attending 7th convocation of NIPER Guwahati.

– युवा वैज्ञानिकों से भारत को स्वस्थ, नवोन्मेषी और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर ले जाने का आह्वान किया

– एनआईपीईआर, गुवाहाटी के सहयोग से पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों और आधुनिक विज्ञान के बीच सेतु का काम करने को कहा

गुवाहाटी, 18 जून (Udaipur Kiran) । असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने बुधवार को राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, गुवाहाटी के परिसर में आयोजित 7वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। समारोह के दौरान 10 पीएचडी छात्रों, बैच 2022-24 के 144 स्नातकोत्तर छात्रों और बैच 2023-25 के 212 स्नातकोत्तर छात्रों सहित कुल 366 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। राज्यपाल ने डिग्रियां सौंप कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने स्नातक करने वाले छात्रों, उनके परिवारों और शैक्षणिक समुदाय को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह न केवल वर्षों के अथक प्रयास का परिणाम है, बल्कि जिम्मेदारी और सेवा के एक नए अध्याय की शुरुआत भी है। यह छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए समान रूप से एक पवित्र और गौरवपूर्ण क्षण है।

राज्यपाल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र को जैव विविधता, पारंपरिक दवाओं और स्वदेशी स्वास्थ्य सेवा ज्ञान का खजाना बताया। उन्होंने कहा कि एनआईपीईआर, गुवाहाटी जैसे संस्थान अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से इस समृद्ध विरासत को वैश्विक मंच पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

दवा क्षेत्र के विकास में क्षेत्र की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, राज्यपाल ने ‘एडवांटेज असम 2.0’ और ‘राइजिंग नॉर्थईस्ट समिट’ जैसी पहलों का हवाला दिया, जिन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि असम तेजी से नवाचार, उद्यमिता और फार्मास्युटिकल उत्कृष्टता के लिए एक नए केंद्र के रूप में उभर रहा है।

राज्यपाल आचार्य ने नवीनतम् राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में 12वीं रैंक हासिल करने के लिए एनआईपीईआर गुवाहाटी की सराहना की और इसे इसकी बढ़ती शैक्षणिक और अनुसंधान उत्कृष्टता का प्रमाण बताया। उन्होंने स्वास्थ्य विज्ञान, नवाचार और सार्वजनिक सेवा में उनके योगदान के लिए संस्थान के संकाय, शोधकर्ताओं और छात्रों की प्रशंसा की।

भारत की दीर्घकालिक चिकित्सा विरासत पर विचार करते हुए राज्यपाल ने प्राचीन कहावत, “आरोग्यम् परमं भाग्यम्, स्वास्थ्यम् सर्वार्थसाधनम्” का हवाला दिया, जो आज की दुनिया में जीवनशैली संबंधी विकारों, मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों और पर्यावरण संबंधी चिंताओं से चिह्नित समग्र स्वास्थ्य की प्रासंगिकता को रेखांकित करता है। उन्होंने वास्तविक स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए आयुर्वेद, योग और स्वदेशी प्रथाओं के साथ आधुनिक चिकित्सा के एकीकरण पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि चरक और सुश्रुत जैसे हमारे आचार्यों ने औषधि विज्ञान और शल्य चिकित्सा में अपने अग्रणी कार्य के साथ चिकित्सा विज्ञान की नींव रखी। आज, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, आयुर्वेद और पारंपरिक भारतीय चिकित्सा ने वैश्विक सम्मान प्राप्त किया है, जिसने भारत को स्वास्थ्य नवाचार के ऐतिहासिक चौराहे पर खड़ा कर दिया है।

राज्यपाल ने बताया कि देश जेनेरिक दवाओं की 20 फीसदी वैश्विक मांग को पूरा करता है, जो 60 से अधिक चिकित्सीय श्रेणियों में 60 हजार से अधिक ब्रांड का उत्पादन करता है। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भारत द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला और संकट के दौरान सक्रिय योगदान के लिए एनआईपीईआर गुवाहाटी की प्रशंसा की, जिसके लिए इसे कोविड योद्धा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

राज्यपाल ने यह भी कहा कि भारतीय दवा उद्योग मात्रा के हिसाब से दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य के हिसाब से 14वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे देश आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल स्वास्थ्य और स्टार्टअप इंडिया जैसे प्रमुख मिशनों के साथ आगे बढ़ रहा है, एनआईपीईआर के स्नातकों जैसे युवा पेशेवरों को परिवर्तन के उत्प्रेरक बनना चाहिए।

राज्यपाल ने स्नातकों से पूर्वोत्तर के पारंपरिक औषधीय ज्ञान को मान्य और उन्नत करने तथा इसे आधुनिक शोध के साथ एकीकृत करने का आह्वान किया। राज्यपाल ने कहा, आपके वैज्ञानिक कार्य हमेशा करुणा और नैतिकता से निर्देशित होने चाहिए। याद रखें, किसी आविष्कार का वास्तविक मूल्य समाज की सेवा में निहित है।

राज्यपाल आचार्य ने एनआईपीईआर गुवाहाटी को डब्ल्यूएचओ जैसी राष्ट्रीय और वैश्विक संस्थाओं के साथ सहयोग के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों और आधुनिक विज्ञान के बीच एक सेतु बनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि जब आप दुनिया में कदम रखते हैं, तो उत्कृष्टता, अखंडता और सामाजिक सेवा के मूल्यों को अपने साथ लेकर चलते हैं। राज्यपाल ने कहा कि आप भारत के फार्मास्युटिकल भविष्य के पथप्रदर्शक हैं।

रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव अमित अग्रवाल, एनआईपीईआर के निदेशक डॉ. यूएसएन मूर्ति, एनआईपीईआर गुवाहाटी के एसोसिएट डीन प्रो. संजय के बनर्जी, गवर्निंग बोर्ड, सीनेट और अकादमिक योजना और विकास समिति के सदस्य, संकाय सदस्य और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति दीक्षांत समारोह में शामिल हुए।

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(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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