Jharkhand

बच्चों से संवाद में बोले राज्यपाल, बनें अच्छे इंसान और सच्चे देशभक्त

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए
संवाद कार्यक्रम में राज्यपाल, रक्षा राज्य मंत्री और सीडीएस
कार्यक्रम में संवाद करते सीडीएस

रांची, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) ।

भारतीय सेना केवल हमारी सीमाओं की रक्षा ही नहीं करती, बल्कि हमारे सपनों और भविष्य की भी सुरक्षा करती है। हमारे वीर जवान विषम से विषम परिस्थितियों में भी देश की सुरक्षा में सदैव तत्पर रहते हैं।

यह बातें राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने गुरुवार को राज भवन के बिरसा मंडप में आयोजित बच्चों से संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। इस दौरान केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और देश के प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान भी उपस्थित थे।

मौके पर राज्यपाल ने बच्चों से आह्वान किया कि वे जीवन में चाहे जिस भी क्षेत्र में आगे बढ़ें, सैनिक, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक या वैज्ञानिक बनें, सबसे पहले अच्छे इंसान और सच्चे देशभक्त नागरिक बनें।

राज्यपाल ने ऑपरेशन सिंदूर को केंद्र में रखकर विद्यार्थियों की ओर से बनाई गई पेंटिंग्स का उल्लेख करते हुए कहा कि ये केवल चित्र नहीं हैं, बल्कि बच्चों के हृदय में बसे देशप्रेम और वीर जवानों के प्रति सम्मान का सजीव प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब ये चित्र हमारे वीर सैनिकों तक पहुँचेंगे, तो उन्हें अपार प्रेरणा और ऊर्जा मिलेगी।

राज्यपाल ने कहा कि झारखंड की धरती सदैव वीरता और बलिदान की भूमि रही है। यह वह भूमि है, जहां से असंख्य स्वतंत्रता सेनानी, बलिदानी और वीर सपूत निकलें। यह भूमि ही परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का की भी जन्मभूमि है, जिनका अदम्य साहस सदैव प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि झारखंड के युवाओं में सेना में जाने की गहरी अभिरुचि रही है और यह पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय है।

बच्चे ही विकसित भारत के ब्रांड एम्बेसडर : सेठ

वहीं रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि बच्चे ही विकसित भारत के ब्रांड एम्बेसडर हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में 36 विद्यालयों के विद्यार्थी भाग ले रहे हैं और पिछले 20-25 दिनों में विद्यार्थियों की ओर से बनाई गई पेंटिंग्स सशस्त्र बलों के साहस और शौर्य को नमन करने का जीवंत प्रतीक हैं। सेठ ने कहा कि भविष्य में 50 हजार बच्चों तक पहुंचने की योजना है। उन्होंने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान से अनुरोध किया कि बच्चों की बनाई गई इन पेंटिंग्स को स्वीकार करें और इन्हें सीमाओं पर तैनात जवानों तक पहुंचाया जाए, ताकि उन्हें बच्चों की ओर से नमन और सम्मान का संदेश मिल सके।

ऑपरेशन सिंदूर में सटीक रणनीति, वैज्ञानिक गणना और तकनीकी कौशल का समन्वय : सीडीएस

इस अवसर पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने विद्यार्थियों से कहा कि इतने बड़े पैमाने पर स्कूल के बच्चों से संवाद करना विशेष है। उन्होंने कहा कि वे एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं और उनकी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता के केंद्रीय विद्यालय में हुई। उनसे पूर्व उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति सेना में नहीं था और न ही उनके बाद। उनकी एक पुत्री है जो सेना में नहीं है। उन्होंने कहा कि सेना में प्रवेश भाई-भतीजावाद से नहीं होता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यदि कोई भारत की असली विविधता और संस्कृतियों को समझना चाहता है, तो सेना से समझा सकता है। सेना केवल युद्ध के समय ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं और आपात परिस्थितियों में भी जनता की रक्षा और सेवा करती है।

सीडीएस ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अभियान की योजना और क्रियान्वयन में हमारी सटीक रणनीति, वैज्ञानिक गणना और तकनीकी कौशल का समन्वय रहा। उन्होंने कहा कि हमारे लिए राजनीतिक लक्ष्य सर्वोपरि होता है। सेना सदैव सुनिश्चित करती है कि किसी भी कार्रवाई में निर्दोष नागरिकों की क्षति न हो। रात के 1-1.30 बजे इसलिए किया कि हमें अपनी क्षमता पर भरोसा था। हम गैर आतंकी नागरिक को नहीं मारना चाहते थे। इस अभियान में नौसेना सेना के हथियार का भी इस्तेमाल किया गया, नवाचार जरूरी है। इस बार ड्रोन का इस्तेमाल किया। उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश दिया कि सफलता केवल उच्च आईक्यू से नहीं मिलती, बल्कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता, टीम-वर्क और निरंतर सीखने की प्रवृत्ति से ही वास्तविक उपलब्धि संभव है। विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए बच्चों को कठोर परिश्रम और अनुशासन के साथ आगे बढ़ना होगा।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे

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