
गुवाहाटी, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की निक्षय मित्र पहल के तहत आज असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कामरूप (मेट्रो) और नगांव जिलों के 100 क्षयरोगियों को गोद लिया। यह कार्यक्रम राजभवन, गुवाहाटी में एक साधारण समारोह में आयोजित किया गया।
राज्यपाल ने इस अवसर पर पांच क्षयरोगियों को खाद्य सामग्री की टोकरी वितरित की और निक्षय मित्र तथा टीबी चैंपियंस को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया। आचार्य ने कहा कि क्षय रोग देश के लिए एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है, लेकिन सामूहिक प्रयास, सहानुभूति और समुदाय की भागीदारी से इसे समाप्त करना संभव है। उन्होंने 100 रोगियों को गोद लेने को व्यक्तिगत जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता बताया और बताया कि क्षय रोग उन्मूलन में केवल चिकित्सा देखभाल ही नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक समर्थन भी आवश्यक है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन अभियान को जन आंदोलन में बदलने की सराहना करते हुए राज्यपाल ने समुदाय की व्यापक भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने असम की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया, जिसमें राज्य में टीबी टेस्टिंग दर 2022 में 842 प्रति लाख से बढ़कर 2,915 प्रति लाख हो गई है, जिससे समय पर निदान और जल्दी उपचार संभव हो पाया है।
असम में उपचार में 90 प्रतिशत सफलता दर दर्ज की गई है और एआई आधारित उपकरण पाटो के इस्तेमाल से जटिलताओं की पूर्व भविष्यवाणी और रोगियों के परिणाम में सुधार हो रहा है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य में टीबी मृत्यु दर 3.1 प्रतिशत से घटकर 2.4 प्रतिशत हो गई है।
राज्यपाल ने ‘100-दिन टीबी-मुक्त भारत अभियान’ और राजभवन एवं स्वास्थ्य विभाग की अन्य पहलों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थानों में जागरूकता अभियान और उपचाराधीन रोगियों को वित्तीय व पोषण संबंधी सहायता प्रदान की जा रही है।
9 सितंबर, 2022 को शुरू हुई निक्षय मित्र पहल के तहत असम में अब तक 21,600 से अधिक निक्षय मित्र पंजीकृत हैं, जो क्षयरोगियों को समग्र समर्थन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आचार्य ने कहा कि सार्वजनिक भागीदारी टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सा उपचार आवश्यक है, लेकिन सहानुभूति और समुदाय की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। 100 रोगियों को गोद लेने की पहल एक सामाजिक जिम्मेदारी और एकजुटता का संदेश देती है, जो अन्य व्यक्तियों और संस्थाओं को भी स्वस्थ असम और टीबी-मुक्त भारत के इस मिशन में शामिल होने के लिए प्रेरित करती है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के आयुक्त एवं सचिव डॉ. पी अशोक बाबू, राज्यपाल के आयुक्त एवं सचिव एसएस मीनाक्षी सुंदरम, राजभवन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राज्य टीबी सेल के वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश