
शिमला, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा मंदिरों की संपत्ति को सरकार के उपयोग पर रोक लगाने और मंदिरों की आय को केवल धार्मिक व धर्मार्थ कार्यों में खर्च करने के निर्देश स्वागत योग्य हैं। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं की जीत है, जो लंबे समय से सरकार द्वारा मंदिरों की धनराशि के दुरुपयोग पर सवाल उठा रहे थे।
शिमला से गुरूवार को जारी बयान में जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता में आने के बाद से ही सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की नज़र मंदिरों की संपत्ति और धन पर थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कभी किसी योजना के नाम पर, तो कभी किसी अन्य बहाने से मंदिरों की धनराशि को अपने खजाने में डालने की कोशिश कर रही थी। भाजपा ने हमेशा इसका विरोध किया और समय-समय पर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए।
जयराम ठाकुर ने कहा कि 29 जनवरी को सरकार ने प्रदेश के सभी उपायुक्तों को पत्र लिखकर मंदिरों से उनकी आय का हिस्सा सरकार के खाते में जमा करने के निर्देश दिए थे। बताया गया था कि यह राशि सुखाश्रय और सुख शिक्षा योजनाओं के लिए उपयोग होगी, जबकि इन योजनाओं के लिए पहले से ही बजट में प्रावधान किया गया था। उन्होंने कहा कि यह सरकार की एक “साजिश” थी, क्योंकि सुखाश्रय योजना के लिए आवंटित करीब 88 करोड़ रुपये सरकार ने फिक्स्ड डिपॉज़िट में डाल रखे हैं, जबकि लाभार्थियों को कोई सीधी राहत नहीं दी जा रही।
उन्होंने कहा कि जब मंदिरों से वसूली की बात सार्वजनिक हुई तो सरकार पहले तो पूरी तरह मुकर गई और बाद में भी झूठ बोलती रही। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने पैसा लिया है तो उसे स्वीकार करने में समस्या क्या है? यह झूठ सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करता है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने हमारी सरकार के समय मंदिरों की आय से गौशालाओं के निर्माण पर भी आपत्ति जताई थी, जबकि वह कार्य पूरी तरह धर्मार्थ उद्देश्य से किए गए थे। उन्होंने कहा कि अब हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मंदिरों की संपत्ति देवता की है, न कि सरकार की और यह धन केवल धार्मिक, शैक्षणिक और धर्मार्थ कार्यों, गौसेवा और मानवता के कल्याण में ही खर्च किया जा सकता है।
उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से आग्रह किया कि अब अदालत के फैसले के बाद वह मंदिरों की संपत्ति पर अपनी नज़रें न गड़ाएं और यह सुनिश्चित करें कि मंदिरों की आय श्रद्धालुओं की सुविधा, गौसेवा और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार पर ही खर्च हो।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
