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सरकार का लक्ष्य आयुर्वेद बने पहला इलाज, आखिरी उम्मीद नहीं

राष्ट्रीय आयुर्वेद (फाइल फोटो)।

नई दिल्ली, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । आयुर्वेद को अब केवल ‘आखिरी सहारा’ नहीं बल्कि बीमारियों के इलाज का पहला विकल्प बनाने की दिशा में केंद्र सरकार कदम बढ़ा रही है। आगामी 23 सितंबर से आयुर्वेद दिवस को नए रूप में मनाया जाएगा। इस साल 10वें आयुर्वेद दिवस की थीम “आयुर्वेद फॉर पीपल, आयुर्वेद फॉर प्लैनेट” है जिसका मुख्य समारोह गोवा के पणजी में होगा।

आयुष मंत्रालय के अनुसार, आयुर्वेद दिवस पर उपचार के साथ-साथ परंपरागत चिकित्सा ज्ञान के आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकरण पर भी जोर दिया जा रहा है ताकि प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के प्रयोग से ज्यादा प्रभावी बनाया जा सके। इससे लोगों में आयुर्वेद की स्वीकार्यता भी बढ़ेगी। ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जब परंपरागत ज्ञान पर आधारित आयुर्वेद की दवाएं मधुमेह जैसी लाइलाज बीमारियों पर नियंत्रण में असरदार रही।

सीएसआईआर ने बताया कि छह जड़ी बूटियों से विकसित बीजीआर-34 इसका सबसे ताजा उदाहरण है। यह दवा आज मधुमेह नियंत्रण और डाइबिटीज रिवर्सल में अचूक साबित हो रही है। वैसे भी जीवनशैली से जुड़ी बिमारियों के निदान में जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल पर पूरी दुनिया में फोकस बढ़ा है।

एमिल फॉर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा का कहना है कि आयुर्वेद दिवस केवल परंपरा का उत्सव नहीं है, यह विज्ञान और नवाचार का संगम है। बीजीआर-34 जैसी दवा हमारे प्रयास का उदाहरण हैं कि कैसे पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ जोड़कर आधुनिक मरीजों की जरूरतों के हिसाब से प्रभावी समाधान तैयार किए जा सकते हैं।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीएसआईआर और डीआरडीओ जैसी संस्थाएं हर्बल फार्मूलों को वैज्ञानिक कसौटी पर परख रही हैं जिससे लोगों का भरोसा बढ़ रहा है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और किडनी रोग जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में हर्बल उपचार से सकारात्मक नतीजे मिले हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे वैज्ञानिक प्रमाण आयुर्वेद को मुख्यधारा में लाने में मदद करेंगे।

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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी

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