HimachalPradesh

शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही सरकार : रोहित ठाकुर

शिमला, 03 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्रदेश सरकार राज्य की शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए निरंतर सुधारात्मक कदम उठा रही है। यह बात शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने गुरूवार को शिक्षा विभाग की एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण में उल्लेखनीय छलांग लगाई है। वर्ष 2021 में प्रदेश जहां 21वें स्थान पर था, वहीं अब यह 5वें स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने इसे राज्य सरकार की दूरदर्शी नीतियों और शिक्षकों के सतत प्रयासों का परिणाम बताया।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में बेहतर शैक्षणिक वातावरण, बुनियादी ढांचे और खेल सुविधाओं के विकास के लिए कई नए सुधार किए जा रहे हैं। आपदा राहत कोष से शिक्षा विभाग को 30 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जिनका उपयोग 2023 की आपदा से प्रभावित 70 प्रतिशत स्कूलों के पुनर्निर्माण और मरम्मत में किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, 56 स्कूलों को डे-बोर्डिंग मॉडल में स्तरोन्नत किया जाएगा।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अटल आदर्श विद्यालयों का स्वयं निरीक्षण कर शीघ्र रिपोर्ट प्रस्तुत करें ताकि उनकी कार्यप्रणाली में सुधार किया जा सके। साथ ही 187 दिव्यांग जेबीटी और 194 शास्त्री शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने तथा ड्राइंग मास्टर्स की नियुक्ति को भी समयबद्ध ढंग से पूरा करने को कहा गया।

शिक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती विद्यार्थियों की संख्या और आवश्यकताओं के आधार पर ही की जाए। उन्होंने अनावश्यक डेपुटेशन को रद्द करने के निर्देश दिए और केवल अत्यंत आवश्यक मामलों में ही डेपुटेशन की अनुमति देने को कहा।

बैठक में खराब परिणाम देने वाले स्कूलों और शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई। उन्होंने कहा कि शून्य परिणाम देने वाले शिक्षकों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, वहीं जो शिक्षक बेहतर काम कर रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित किया जाए।

उन्होंने मेधावी छात्रों को टैबलेट वितरण में देरी न होने देने और संयुक्त निदेशकों, प्राचार्यों, प्रवक्ताओं और अन्य शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया में गति लाने के निर्देश भी दिए।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि आगामी शैक्षणिक सत्र से कॉलेजों का युक्तिकरण किया जाएगा। साथ ही, व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नए कौशल आधारित पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा उन कॉलेजों में मनोविज्ञान और समाजशास्त्र जैसे विषय भी शुरू किए जाएंगे जहां यह अभी तक उपलब्ध नहीं हैं।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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