
मंडी, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । जयराम ठाकुर ने बुधवार को सुंदरनगर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सरकार को निम्न स्तर की राजनीति से बाज जाना चाहिए। सही है कि हिमाचल प्रदेश को प्रधानमंत्री द्वारा लगातार मदद की जारही है। नरेंद्र मोदी आपदा के समय हिमाचल आने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। 1500 करोड़ की तत्काल पैकेज दिया। उसके एक दिन बाद एनडीआरएफ और एफडीआरएफ का 205 करोड रुपए एडवांस के तौर पर प्रदेश को मिला।
उन्होने कहा कि सात केंद्रीय मंत्री हिमाचल प्रदेश में दौरा कर रहे हैं। नेशनल हाईवे से मलबा हटाकर सड़कें दुरुस्त करने के लिए 200 करोड़ से अधिक की धनराशि तत्काल उपलब्ध करवा दी गई है। मानसून के लिए एनडीआरएफ और एफडीआरएफ के तहत मिलने वाला आर्थिक सहयोग भी हिमाचल प्रदेश को मिल चुका है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र द्वारा हिमाचल का भरपूर सहयोग त किया जा रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यह सारा पैसा कहां जा रहा है? 2023 की आपदा के बाद हालात हालात जस के तस हैं। जो सड़के जहां से टूटी थी वहीं टूटी हुई पड़ी हैं। जो मलबा जहां पड़ा था वहीं पड़ा हुआ है। खतरनाक रास्ते हो, सड़कों के गिरे हुए डंगे, या नदियों और खड्डों से नुकसान हुए इंफ्रास्ट्रक्चर। सब के सब वैसे के वैसे पड़े हैं। आपदा राहत के नाम पर 3 साल में जो 5500 हजार करोड़ से अधिक की धनराशि हिमाचल प्रदेश को मिली है वह कहां गई, किस पर खर्च हुई, सरकार के पास इस बात का जवाब तक नहीं है कि आपदा प्रभावितों को देने के लिए केंद्र से आया पैसा गया कहां।
जयराम ठाकुर ने कहा कि एरिया स्पेसिफिक बजट का अर्थ है कि जिन जगहों पर जिन परियोजनाओं को नुकसान हुआ है उन्हें परियोजनाओं पर केंद्र द्वारा भेजा गया पैसा खर्च हो। कल धर्मपुर में जो त्रासदी आई उससे एक व्यक्ति की जान भी गई और 200 से ज्यादा दुकानों को नुकसान पहुंचाहै। ऐसी स्थिति में जब एरिया स्पेसिफिक फंड आएगा तो उन्हीं प्रभावितों के ऊपर वह पैसा खर्च होगा। यह स्थिति चंबा और कुल्लू के लिए भी है। केंद्र सरकार द्वारा नुकसान के बदले आर्थिक सहायता की जाती है लेकिन सरकार उन पैसों का उपयोग अन्य कार्यों में करती है। इससे आपदा प्रभावित क्षेत्र और आपदा प्रभावित लोग रह जाते हैं।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा
