
—कृषि विज्ञान संस्थान के पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान संकाय में भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक और वर्गीकृत सीमन से मिली सफलता
वाराणसी,24 जून (Udaipur Kiran) । काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजीव गांधी दक्षिण परिसर में एक गंगातिरी सरोगेट गाय ने भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक और वर्गीकृत सीमन की मदद से एक स्वस्थ 23 किलोग्राम वज़नी साहीवाल बछिया को जन्म दिया है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत,महत्वाकांक्षी सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी परियोजना में पैदा हुई तीसरी मादा बछिया है। 22 सितंबर 2024 को एक उच्च दुग्ध उत्पादक साहीवाल गाय में सुपर ओवुलेशन करवाकर उसे एक श्रेष्ठ साहीवाल बैल के वर्गीकृत सीमन से कृत्रिम रूप से गर्भित किया गया था, ताकि केवल मादा बछड़ी का ही जन्म सुनिश्चित किया जा सके। परियोजना के संचालक प्रधान अन्वेषक डॉ. मनीष कुमार, सह-अन्वेषक डॉ. कौस्तुभ किशोर सराफ और डॉ. अजीत सिंह को इस सफलता पर पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संकाय, कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. यू. पी. सिंह और आर.जी.एस.सी. के आचार्य प्रभारी प्रो. वी. के. मिश्र ने बधाई दी है। और कहा कि एम्ब्रियो ट्रांसफर तकनीक किसानों को तेजी से आनुवंशिक सुधार, उच्च उत्पादकता, कम लागत और अधिक दुग्ध उत्पादन से आय वृद्धि का अवसर देगी। यह उपलब्धि आरकेवीवाई वित्तपोषित परियोजना के तहत तीसरे सफल बछड़ी जन्म को दर्शाती है। पहली मादा साहीवाल बछिया 19 नवम्बर 2024 को और दूसरी बछिया 2 दिसम्बर 2024 को जन्मी थी, जिससे इस तकनीक की प्रभावशीलता की सफलता की पुष्टि होती है। तीसरी बछिया के जन्म से यह सिद्ध हो गया है कि यह तकनीक देशी नस्लों के संवर्धन में लगातार सफल हो रही है। डॉ. मनीष कुमार (प्रधान अन्वेषक) के अनुसार अब इस कार्यक्रम में और अधिक उन्नत प्रजनन तकनीकों को शामिल करने के लिए प्रयासरत है, जैसे कि ओवम पिक-अप , इन विट्रो फर्टिलाइजेशन,और एम्ब्रियो ट्रांसफर टीम का लक्ष्य है कि भविष्य में इन तकनीकों को विंध्य क्षेत्र के किसानों के द्वार तक पहुँचाया जाए, जिससे देशी नस्लों के संरक्षण के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन से जुड़े किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
—————
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
